यूपी चुनाव का पहले दौर का मतदान दो दिन बाद 10 फरवरी को है। इसकी वजह से सभी दलों का घोषणापत्र करीब-करीब जारी हो चुका है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया। इसको पार्टी ने संकल्प पत्र का नाम दिया है। इसको लेकर टीवी चैनलों पर डिबेट में विपक्ष ने पार्टी के वादों को झूठ का पुलिंदा बताया। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने डिबेट के दौरान पिछले घोषणा पत्र के वादों को पूरा नहीं किए जाने की बात कहते हुए दो सेकेंड का मौन रखकर अपनी बात रखी।

टीवी चैनल न्यूज-24 पर एंकर मानक गुप्ता के साथ डिबेट में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता घनश्याम तिवारी से जब भाजपा के घोषणा पत्र पर उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने कहा कि “मैं दो सेकेंड के मौन के बाद अपनी बात रखना चाहता हूं। यह मौन भारतीय जनता पार्टी के 2017 के संकल्प पत्र के लिए है, जो 32 पृष्ठों का हुआ करता था। अब नया संकल्प पत्र जो आया है वह 16 पृष्ठों का है।”

उन्होंने कहा, “जो 32 पृष्ठों का संकल्प पत्र था, उसके बहुत से संकल्प नए संकल्प पत्र में भी है। वह सब कॉपी-पेस्ट करने के बाद भी ये लोग केवल 16 पृष्ठ ही लिख पाए और उसका भी आखिरी पन्ना खाली है। जैसे कह रहे हों कि मेरे संकल्प कोरे कागज कोरे ही रह गए, जो लिखा था मोदी-योगी संग बह गए। 2017 में कहे थे कि 70 लाख लोगों को रोजगार देंगे, 2022 के संकल्प पत्र में लिखे हैं कि तीन करोड़ लोगों को रोजगार दे दिया। उसके बाद कहते हैं चार करोड़ लोगों को और रोजगार देंगे। इतना अहसान क्यों कर रहे प्रभु।”

इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भाजपा ने मंगलवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इसमें अयोध्या में रामायण विश्वविद्यालय के निर्माण और बुजुर्ग संतों, पुजारियों तथा पुरोहितों के कल्याण के लिए विशेष बोर्ड बनाने का भी वादा किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा का घोषणापत्र ‘1 पत्र’ नाम से जारी किया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संकल्प पत्र समिति के अध्यक्ष एवं राज्य सरकार के मंत्री सुरेश कुमार खन्ना भी मौजूद थे।

भाजपा के नए संकल्प पत्र में मुख्य रूप से कथित ‘लव जिहाद’ के दोषी लोगों को कम से कम 10 वर्षों की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान करने, अयोध्या में भगवान राम से संबंधित संस्कृति शास्त्रों तथा धार्मिक तथ्यों पर शोध के लिए रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना करने, बुजुर्ग संतो पुजारियों और पुरोहितों के कल्याण की योजनाएं संचालित करने के लिए एक विशेष बोर्ड बनाने का वादा किया है।