उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक सरगर्मी भी काफी तेज है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में एक तरीके से पूरे प्रदेश में मोदी लहर चली थी और बीजेपी गठबंधन ने 325 सीटें हासिल की थी। लेकिन उस लहर में भी कुछ नेता ऐसे थे जिनके क्षेत्र में मोदी लहर का कोई असर नहीं हुआ था। इन नेताओं ने अपनी विधानसभा में भारी अंतर से जीत प्राप्त की थी और विधानसभा पहुंचे थे।
आइए जानते हैं इन नेताओं के बारे में:-
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया: राजा भैया प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार से निर्दलीय विधायक हैं। कुंडा में राजा भैया के खिलाफ कोई प्रत्याशी या पार्टी हो, सबको मुंह की खानी पड़ी है। 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में इनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारा और इनको समर्थन दे दिया था।
राजा भैया मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी माने जाते हैं और अखिलेश यादव से तल्खी के बाद भी पिछले साल मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के दो दिन बाद ही उनसे मुलाकात करने उनके घर पहुंचे थे। सबसे बड़ी बात यह है कि हर चुनाव में राजा भैया के जीत का अंतर बढ़ता ही जाता है। पिछले चुनाव में राजा भैया को करीब 70 फ़ीसदी वोट मिला था तो वहीं पर 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 68 फीसदी वोट मिला था।
बता दें, राजा भैया कई बार विवादों में भी रह चुके हैं और डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड में उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था और सीबीआई जांच का भी सामना करना पड़ा था। मायावती के शासनकाल में राजा भैया को जेल भी जाना पड़ा था। बता दें कि राजा भैया मायावती और योगी आदित्यनाथ के शासनकाल को छोड़कर लगभग हर सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
विनोद सरोज : प्रतापगढ़ की बाबागंज सीट से विधायक विनोद सरोज भी निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं। विनोद सरोज को राजा भैया का काफी करीबी बताया जाता है और राजा भैया, विनोद सरोज पर काफी भरोसा करते हैं। 2007, 2012 और 2017 के चुनाव में विनोद सरोज निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं।
2017 के मोदी लहर में भी विनोद सरोज ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को 37 हजार से अधिक वोटों से हराया था। इस बार विनोद सरोज जनसत्ता दल के कैंडिडेट होंगे क्योंकि राजा भैया ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी बनाई थी।
अमन मणि त्रिपाठी : 32 वर्षीय अमनमणि त्रिपाठी महाराजगंज की नौतनवा सीट से विधायक हैं। अमनमणि त्रिपाठी, अमरमणि त्रिपाठी के बेटे हैं जो वर्तमान में जेल में बंद है। 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर और जेल में बंद होने के बावजूद अमनमणि त्रिपाठी ने 32 हजार से अधिक वोटों से विजय प्राप्त की थी। इस चुनाव में बीजेपी का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर था।
अमनमणि त्रिपाठी की बहनों ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था और चुनाव में मोदी लहर के बावजूद अमनमणि को बड़ी जीत प्राप्त हुई थी। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में अमनमणि त्रिपाठी निर्दलीय लड़ेंगे या फिर किसी पार्टी से लड़ेंगे इस बारे में उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। खबरें ऐसी आ रही हैं कि निषाद पार्टी उनको टिकट दे सकती है।
विजय मिश्रा: विजय मिश्रा भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक हैं और पिछली बार निषाद पार्टी के टिकट पर जीते थे। वह अभी जेल में बंद हैं। विजय मिश्रा लगातर चार बार से भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक चुने जा रहे हैं। 2002 ,2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा था और जीता था।
जबकि 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने निषाद पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। विजय मिश्रा की भदोही जिले में ब्राह्मणों में अच्छी खासी पकड़ है और कहा जाता है कि वह कहीं भी रहें, उनके लोगों का कोई काम नहीं रुकता।
वर्ष 2018 में जब राज्यसभा चुनाव हो रहे थे उस वक्त उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन भी था। निषाद पार्टी के महासचिव पद पर रहते हुए भी विजय मिश्रा ने पार्टी के कहने पर भी बसपा प्रत्याशी को वोट नहीं दिया था और भाजपा प्रत्याशी को वोट दे दिया था।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय मिश्रा ने खुलकर बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन किया था और बीजेपी प्रत्याशी ने भदोही लोकसभा से जीत प्राप्त की। वर्तमान में विजय मिश्रा जेल में बंद हैं और समय-समय पर योगी सरकार को घेरते रहते हैं।