यूपी विधानसभा के तीसरे चरण में 59 सीटों पर लगभग 61 फीसदी मतदान हुआ। इस चरण में आंकड़ों की तुलना 2017 से करें तो इस बार मतदान का प्रतिशत कम है। बता दें कि पिछले चुनाव में 62.21 पर्सेंट वोटिंग हुई थी। इसके अलावा 2012 में इन 59 सीटों पर 59.79 फीसदी वोटिंग हुई थी। इससे साफ है कि 2017 के बाद फिर से वोटिंग पर्सेंट में गिरावट देखी गई है।

पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों से पता चलता है कि वोट प्रतिशत बढ़ने से विपक्षी दलों को फायदा होता आया है। 59 सीटों की समीक्षा करें तो 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इन 59 सीटों में से 37 सीटें जीती। वहीं 2017 में बीजेपी ने इन 59 सीटों में से 41 सीटों पर कब्जा जमाया था।

वरिष्ठ पत्रकार विवेक दुबे ने जी उत्तर प्रदेश से बात करते हुए बताया, ‘2017 में जो लहर दिखाई दे रही थी वो इसबार देखने को नहीं मिल रही है। पश्चिमी यूपी में हुए पहले चरण के मतदान जो मुद्दे थे वो अन्य चरण से अलग हैं। उन्होंने कहा कि चरणों के मुताबिक मुद्दों में भी बदलाव आया है। अगर शहरी मतदाताओं का वोट प्रतिशत घटता है तो इसका नुकसान भाजपा को हो सकता है।’

बता दें कि इस बार तीसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत पिछले साल के मुकाबले कम है। हालांकि इसका नतीजों पर क्या असर होगा इसकी असली तस्वीर 10 मार्च को ही साफ होगी।

दूसरे चरण की वोटिंग की तुलना 2017 से: दूसरे चरण पर गौर करें तो इस बार 55 सीटों पर 64.42 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं 2017 में 65.53 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस चरण में भी इस बार कम वोटिंग देखी गई। 2012 में इन 55 सीटों पर 65.17% वोटिंग हुई थी। 2017 में मतदान में करीब 0.36% की बढ़ोतरी हुई। गौरतलब है कि यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। जिसमें तीन चरणों का मतदान संपन्न हो चुका हैं। चौथे चरण का चुनाव 23 फरवरी को होनी है।