उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दलबदलू नेताओं पर भी सबकी नजर रहेगी। सूबे के कई नेताओं ने चुनाव से पहले अपना पाला बदला है। वर्तमान प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने भी इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी ज्वाइन की है। हाल ही में स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी ने योगी सरकार से त्यागपत्र देकर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इन नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई। इन तीनों नेताओं के साथ कई विधायकों ने भी भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया और समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
सबसे बड़ी बात इन तीनों नेताओं ने बीजेपी पर आरोप भी एक ही प्रकार के लगाए कि पार्टी दलित और पिछड़ा विरोधी है। अब विधानसभा चुनाव में इन तीनों नेताओं पर देश की नजरे होंगी।
आइये जानते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान के राजनीतिक सफर के बारे में:
स्वामी प्रसाद मौर्य: स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम स्थान रखते हैं और पिछड़ों के नेता माने जाते हैं। मौर्य 1996 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे और मायावती के काफी करीबी भी माने जाते थे। हालांकि 2016 में उन्होंने मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी। मौर्य कुल 5 बार विधायक बने हैं। 1996 और 2002 में उन्होंने डलमऊ सीट से जीत प्राप्त की थी जबकि 2009 के उपचुनाव में उन्होंने पडरौना विधानसभा से जीत प्राप्त की थी। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने पडरौना से ही जीत हासिल की। 1996, 2002, 2009 और 2012 में मौर्य बसपा के टिकट पर विधायक बने थे जबकि 2017 का चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था और जीत हासिल की थी।
कुछ दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी पर दलित और पिछड़ा विरोधी होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प ले चुके हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या का दावा है कि पूरा पिछड़ा समाज उनके साथ है और 2017 में उन्होंने ही बीजेपी की सरकार बनवाई थी। अब वह अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का काम करेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्या का दावा कितना सच होगा यह तो आने वाले 10 मार्च को ही पता चलेगा।
धर्म सिंह सैनी: धर्म सिंह सैनी वर्तमान में सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से विधायक हैं। सैनी भी स्वामी प्रसाद मौर्य के काफी करीबी माने जाते हैं। वह लगातार चार बार से विधायक बनते आ रहे हैं। 2002, 2007 में सरसवा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। जबकि 2012 और 2017 में सहारनपुर की नकुड़ सीट से जीते।
सैनी ने 2002, 2007 और 2012 का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था और विधायक चुने गए थे। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और नकुड विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत प्राप्त की।
बता दें धर्म सिंह सैनी बसपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे और 2007 से 2012 तक वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी थे। सैनी ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी। उन्होंने भी बीजेपी सरकार पर दलित और पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाया।
बता दें धर्म सिंह सैनी ने सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता इमरान मसूद को 2012 और 2017 के चुनाव में हराया। दोनों नेता एक दूसरे के हमेशा राजनीतिक प्रतिद्वंदी रहे। लेकिन अब इमरान मसूद भी समाजवादी पार्टी के साथ हैं और उन्होंने अपने समर्थकों से धर्म सिंह सैनी को जिताने की अपील की है।
दारा सिंह चौहान: स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के बाद दारा सिंह चौहान ने भी बीजेपी छोड़ दी। दारा सिंह चौहान भी कभी बसपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे। 2017 में दारा सिंह चौहान पहली बार विधायक बने थे। बीजेपी ने उन्हें मऊ की मधुबन सीट से टिकट दिया था और उन्होंने जीत हासिल की थी।
बता दें दारा सिंह चौहान बीएसपी के टिकट पर दो बार राज्यसभा सांसद और एक बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। 1996 में दारा सिंह चौहान को बीएसपी ने राज्यसभा में भेजा था। फिर दोबारा भी भेजा। 2009 में दारा सिंह चौहान को बीएसपी ने घोसी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत प्राप्त की। 2014 में भी दारा सिंह चौहान ने बीएसपी के टिकट पर घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि उनकी हार हुई।
2015 में दारा सिंह चौहान ने बीजेपी ज्वाइन की और बीजेपी ने उन्हें ओबीसी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। 2017 में दारा सिंह चौहान मधुबन विधानसभा सीट से विधायक चुने गए और बीजेपी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा दे दिया और उन्होंने भी बीजेपी पर पिछड़ा और दलित विरोधी होने का आरोप लगाया।