यूपी चुनाव की तिथियां घोषित होने के कुछ दिन बाद ही सत्ताधारी भाजपा के कई मंत्री और विधायक पार्टी छोड़कर दूसरे दल में चले गए। इसको लेकर भाजपा नेता और सांसद कौशल किशोर ने न्यूज-18 इंडिया के डिबेट में कहा कि पार्टी छोड़कर वही लोग गए हैं, जिनके बारे में सर्वे रिपोर्ट में एंटी इनकम्बेंसी की बात पता चली थी। पार्टी छोड़ने अधिकतर लोग दूसरी पार्टी से आए थे। बाकी जनता तो पार्टी के साथ है। सरकार और पार्टी के खिलाफ कोई एंटी इनकम्बेंसी नहीं है। व्यक्तिगत कुछ लोगों के साथ है, वे लोग पार्टी छोड़ रहे हैं।
उनके इस बयान पर सपा नेता अजीज खान ने याद दिलाई कि ये वही कौशल किशोर जी हैं, जिन्होंने कोरोना काल में सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे थे। सिर्फ यही नहीं ब्रजेश पाठक भी अनशन पर बैठे थे। उन्होंने कहा, “देखिए इनको भी पीड़ा है अंदर से, इनको भी पता है सरकार पांच साल चली है, उसमें उत्तर प्रदेश की जनता को माननीय योगी जी ने बंधक बना लिया था। लोग घुटन महसूस कर रहे थे। चाहे विधायक हो, मंत्री हो या सांसद हो प्रदेश में घुटन में थे।”
वे बोले, “आज देखिए सामाजिक न्याय की बात हो रही है। समाजवादी पार्टी पहले से कह रही है कि हम समाजवादी में विश्वास करते हैं। हम दलित, शोषित, वंचित और पिछड़ा समाज को उसका हक दिलाना चाहते थे। क्योंकि यह समाज बड़ी उम्मीद के साथ भाजपा के साथ जुड़ा था। नौजवान बड़ी उम्मीद लगाएं थे।”
बोले “आज क्या हो रहा है। इनको अपमानित किया जा रहा है। पिछड़े समाज के जो लोग हैं, यहां तक कि केशव प्रसाद मौर्या जी, उनको उपमुख्यमंत्री तो बनाया, लेकिन जब सम्मान देने की बात आती है तो उनको स्टूल पर बैठाया जाता है। स्वतंत्रदेव सिंह प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन उनको फाइबर की कुर्सी पर बैठाया जाता है।”
कहा कि वहीं दूसरी तरफ देखिए माननीय योगी आदित्यनाथ जी सोफे पर बैठते हैं। यह सम्मान की लड़ाई है या अभिमान की लड़ाई है। यहां लड़ाई किसी चीज की है। आप हक ऐसे भी नहीं दे रहे हैं तो कम से कम सम्मान तो दीजिए। क्या अयोध्या से माननीय योगी जी चुनाव लड़ेंगे तो वहां कोरोना में जो लाशें बहीं हैं, वह क्या अयोध्या वालों को नहीं पता है। वे भूल जाएंगे। क्या जो महंगाई है, बेरोजगारी है और कानून व्यवस्था है, उसे भूल जाएंगे।
अयोध्या से थोड़ा आगे चलिए तो गोरखपुर जो माननीय योगी जी का गृहजनपद है, वहां वसूली को लेकर एक व्यापारी की हत्या की गई। पुलिस ने मॉब लिंचिंग की। क्या गोरखपुर वालों को नहीं पता है।
