यूपी विधानसभा चुनाव में की शुरुआत पश्चिमी यूपी से होगी। पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होगा। इस बीच बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जाट नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से जुड़े कुछ मसले भले ही हों लेकिन केंद्र सरकार हमेशा उनके साथ है।

दरअसल 10 फरवरी को जिन सीटों पर मतदान होने हैं, उनमें जाट समुदाय की अहम हिस्सेदारी है। ऐसे में पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन को लेकर भाजपा के खिलाफ पैदा हुई नाराजगी को दूर करने के लिए खुद अमित शाह ने कमान संभाली है। बुधवार को जाट नेताओं के साथ शाह और अन्य भाजपा नेताओं की बंद कमरे में बैठक हुई।

मुजफ्फरनगर से भाजपा सांसद व जाट नेता संजीव बाल्यान ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैंने नेताओं से कहा कि अगर आपको राज्य सरकार से कोई चिंता या समस्या है, तो भी हमारे पास केंद्र का भी विकल्प है। अमित शाहजी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही हमारी बात सुनते हैं।” वहीं अमित शाह ने सभा में कहा, “आप अपनी खीझ मेरे साथ निकालने के लिए आजाद हैं। आपको किसी और पार्टी की तरफ देखने की क्या जरूरत है।?”

पार्टी से ना रखें कोई नाराजगी: अमित शाह ने जाट समुदाय के साथ 650 साल पुराना रिश्ता बताया। उन्होंने कहा अगर कोई शिकायत है तो आप मुझसे झगड़ा कर सकते हैं, लेकिन पार्टी से कोई नाराजगी ना रखी जाए।

दिल्ली जाट भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने मीटिंग को लेकर कहा, “अमित शाह जी ने उन्हें (जाटों को) कहीं और नहीं जाने के लिए कहा है। वह जाटों के लिए तत्पर हैं। उन्होंने जाट नेताओं से कहा कि उनकी जो भी शिकायतें हैं, उसका समाधान करने का प्रयास करेंगे।”

रालोद से भी संपर्क: बता दें कि भाजपा ने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी से भी संपर्क किया था। जो पश्चिम यूपी में सबसे प्रमुख जाट पार्टी है। मौजूदा समय जयंत समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। फिलहाल भाजपा की तरफ से संकेत दिये गये हैं कि उनके लिए बीजेपी के दरवाजे अभी भी खुले हैं।

200 जाट नेताओं के साथ हुई इस बैठक के इस समुदाय के एक नेता मीडिया से कहा, “गृहमंत्री जी ने अपील की है कि बीजेपी को वोट दें, हमारी कोई नाराजगी नहीं है। इसके पहले भी हमने भाजपा को भरपूर वोट दिया है। जाट समाज 2013 को भूल नहीं पाया है। जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे. बहुत सारी बातें हुईं है।” बता दें कि पश्चिमी यूपी में जाट करीब 17 प्रतिशत हैं। इसमें 45 से 50 सीटों पर जाट हार-जीत तय करते हैं।