उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशाम्बी जिले सिराथू सीट से मैदान में हैं। माना जाता है कि इस सीट पर मिलने वाली सफलता में पारंपरिक रूप से जाति समीकरणों का अहम योगदान रहता है। वहीं मौर्य के लिए इस बार सम्मान की लड़ाई है। दरअसल यह सीट पहले बसपा का गढ़ रही। वहीं 2012 में केशव प्रसाद मौर्य ने यहां पहली बार भाजपा का खाता खोला। उसके बाद से यहां उनका ही दबदबा रहा।

तीन P: सिराथू में जीत के लिए तीन ‘P’ का रोल अहम माना जाता है। जिसमें पासी (दलित), पटेल (कुर्मी) और पंडितों (ब्राह्मण) शामिल हैं। बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य खुद को लेकर आश्वस्त हैं कि इन तीनों P का साथ उन्हें मिल रहा है। गौरतलब है कि मौर्य पार्टी के लिए ओबीसी चेहरा हैं। यहां से उनकी जीत उनके राजनीतिक करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

इस सीट पर पांचवें चरण, 27 फरवरी को मतदान होना है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं इस माटी का बेटा हूं। यहां से मैं पहले भी चुनाव लड़ चुका हूं और जीता हूं। मैं यहां की समस्याएं अच्छे से जानता हूं। मुझे अपनी जीत पर कोई संदेह नहीं है। मैं रिकॉर्ड अंतर से जीतूंगा।”

सिराथू में जातीय समीकरण: सिराथू में 3 लाख 80 हजार 839 वोटर्स हैं। सामान्य जाति के 19 फीसदी मतदाता, दलित 33 फीसदी, मुस्लिम 13 फीसदी और करीब 34 प्रतिशत पिछड़े वर्ग से मतदाता हैं। ओबीसी में कुर्मी समाज के वोटर यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस बार केशव प्रसाद मौर्य अपने विकास के कार्यों के दम जीत का दावा कर रहे हैं। वो खुद को सिराथू का बेटा बताते हैं।

लोगों में है नाराजगी: केशव प्रसाद मौर्य को लेकर जमीनी हकीकत देखें तो कई लोग खुले तौर पर मौर्य की लोगों तक ना पहुंचने से नाराज बताए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि योगी मंत्रिमंडल में उच्च पद रहने के बाद भी सिराथू सीट के लिए बहुत कम काम किया गया है।

सिराथू के बिदानपुर अमद करारी से अभिषेक कुमार पासी का कहना है, “मैंने पिछली बार केशव जी के लिए काम किया था, जब वे यहां से चुने गए थे। लेकिन इस बार उन्हें वोट नहीं देने का मैंने फैसला किया है। उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया।

सिराथू के एक पटेल बहुल गांव में, एक कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के चालक ने अपने गांव की पहचान ना बताये जाने की शर्त पर कहा, “मुझे नहीं पता कि मौर्य को वोट देने वाला कौन है। मेरे सीएससी में प्रतिदिन 50 से अधिक लोग आते हैं और उनमें से लगभग सभी उनसे नाखुश लगते हैं। उनका कहना है कि डिप्टी सीएम के तौर पर उन्होंने इलाके के लिए कुछ नहीं किया।”

सिराथू के रहने वाले मौर्य यहां से आखिरी बार 2012 में जीते थे, लेकिन फूलपुर से 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। 2017 में वो आदित्यनाथ सरकार में शामिल हुए। ऐसे में उन्होंने अपनी लोकसभा सीट छोड़नी पड़ी और विधान परिषद के लिए चुने गए। वहीं 2017 के चुनाव में भाजपा के शीतला प्रसाद ने सपा के वाचस्पति को 26,000 से अधिक मतों से हराया था।