गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के तहत अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है। अब्बास ने बीते सोमवार को मऊ सदर सीट से ओपी राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। ऐसे में लगता है कि सपा ने ‘माफिया पार्टी’ के रूप में ब्रांडेड होने से बचने का प्रयास किया है।
ज्ञात हो कि चुनावी अभियानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा का शीर्ष नेतृत्व लगातार “अपराधियों को टिकट देने” के लिए सपा पर निशाना साधता रहा है। हालांकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हर बार इन आरोपों का खंडन किया है।
मुख्तार अंसारी, जो कि साल 1996 से मऊ सीट से पांच बार चुनाव जीत चुका है, वह इस बार भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार था। अंसारी के वकील दरोगा सिंह ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि एमपी/एमएलए की विशेष अदालत ने अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें जेल से नामांकन पत्र दाखिल करने की अनुमति दी थी।
बता दें कि, मुख्तार अंसारी गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर और मऊ समेत कई जिलों के विभिन्न थानों में 38 मामले दर्ज हैं। हालांकि, इनमें से अधिकतर मामलों में अंसारी को बरी कर दिया गया है।
यूपी पुलिस के मुताबिक, प्रशासन के द्वारा “अंसारी के गिरोह” के 96 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से 85 पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा अंसारी के 72 सहयोगियों के शस्त्र लाइसेंस रद्द या निलंबित कर दिए गए हैं। जबकि अंसारी और उनके सहयोगियों से जुड़ी 192 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर पुलिस ने कई तरह की कार्रवाई की हैं।
मंगलवार को अंसारी के वकील ने कहा था कि ‘मुख़्तार अंसारी अपनी राजनीतिक विरासत बेटे को सौंपना चाहता है, इसलिए अब्बास को मैदान में उतारने का फैसला लिया गया है’। हालांकि, सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अखिलेश ने माफियाओं/गैंगस्टरों की पार्टी होने के टैग से छुटकारा पाने के लिए इन चुनावों में किसी भी “विवादास्पद व्यक्ति” को मैदान में नहीं उतारने का मन बना लिया था।
सपा के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा कि, ‘इस बार अखिलेश जी का संकल्प रहा है कि वह भाजपा के जाल में नहीं फसेंगे। ऐसे में अगर मुख्तार, अतीक अहमद और इमरान मसूद ने चुनाव लड़ा होता तो इससे भाजपा को मदद मिलती; क्योंकि अगर सपा उनकी सीटें जीत भी जाती तो दूसरी सीटों पर पार्टी को बड़ा नुकसान होता। हालांकि, नेता ने अपनी बात यह जोड़ते हुए खत्म की कि पार्टी ने इन नेताओं से वादा किया है कि चुनावों के बाद सपा की सरकार बनती है तो उनका ध्यान रखा जाएगा।
बता दें कि, मुख्तार के बेटे अब्बास ने अपने पिता के करीबी माने जाने वाले ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से सोमवार को नामांकन दाखिल किया था। सपा के सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में ओम प्रकाश राजभर ने अंसारी को मैदान में उतारने के लिए अखिलेश को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन सपा प्रमुख ‘हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण’ से बचने के कारण सहमत नहीं हुए थे।
गौरतलब है कि, मऊ में मुस्लिम और राजभर मतदाताओं की बड़ी संख्या है और अब्बास के एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार होने के कारण, सपा नेताओं को यहां “बड़ी जीत” की उम्मीद है। वहीं, बसपा ने मऊ से अपनी यूपी इकाई के प्रमुख भीम राजभर को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने पहली बार चुनाव लड़ रहे अशोक सिंह को टिकट दिया है।