परिसीमन के चलते जिले के विधानसभा क्षेत्रों की संख्या में कई बार बदलाव हुआ। 72 साल की इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में वर्तमान में यहां छह विधान सभा क्षेत्रों वाले उन्नाव के अंदर अब तक एक भी महिला जीतकर असेम्बली नहीं पहुंच पाई, जिससे महिला सशक्तिकरण का स्लोगन यहां जुमला ही साबित हो रहा है। ऐसा नहीं है कि उन्नाव के मतदाता महिलाओं को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते क्योंकि समाज सेवा की सीढ़ी चढ़कर राजनीति की ऊंचाइयों पर चढ़ी अन्नू टण्डन को यहां के मतदाताओं ने वर्ष 2009 में भारी बहुमत से सांसद बनाने का काम किया था। इसलिए महिलाओं के पीछे रहने में सच्चाई यह है कि सियासी दल यहां से महिलाओं को टिकट देने में जानबूझकर उनकी अनदेखी करते रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 तक उन्नाव में सात विधानसभा क्षेत्र थे, लेकिन इसके बाद परिसीमन की कैंची ने (हड़हा व हसनगंज विधान सभा क्षेत्र) को विलुप्त कर जनपद उन्नाव में जन्में ख्यातिलब्ध स्वतन्त्रता सेनानी एवं मशहूर शायर स्व. हसरत मोहानी के नाम पर एक नया विधान सभा क्षेत्र मोहान का सृजन कर दिया है। लेकिन इस बदली व्यवस्था में भी सियासी दलों ने वर्ष 2022 के आम चुनाव में सदर विधानसभा क्षेत्र से अकेले कांग्रेस ने माखी गांव की दुराचार पीड़िता की मां को टिकट दिया है जबकि बांगरमऊ से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व गृहमंत्री स्व. गोपीनाथ दीक्षित की पुत्री आरती वाजपेयी को मौका दिया है वहीं सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र मोहान से इसी दल ने मधू वर्मा को मौका देकर “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” के ध्येय को सार्थक करने का काम किया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने मोहान विधानसभा क्षेत्र से डा. आंचल वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है।
लेकिन इतना सब होने के बावजूद सत्ताधारी दल समेत महिला नेतृत्व वाली बसपा ने भी उन्नाव में महिलाओं की अनदेखी की है। याद दिला दें कि सूबे की विधानसभा में प्रतिनिधित्व की बात करने वालों की यदि बात करें तो अब तक हुए चुनावों में लगभग एक सौ से अधिक पुरुष विधायक बनकर लखनऊ पहुंचे हैं। वर्ष 2009 में यहां के मतदाताओं ने समाजसेविका की राह चलकर राजनीति में आई अन्नू टण्डन को यहां का सांसद बनाया। पुरूष प्रतिनिधियों में तो कई ऐसे रहे हैं जिनको जनता ने कई कई बार चुनकर सदन में भेजा है, मगर आज तक उन्नाव से एक भी महिला को विधायक बनने का अवसर नहीं मिला।
कुल मिलाकर देश के 72 साल की लोकतांत्रिक व्यवस्था में उन्नाव से केवल पुरुष वर्ग से ही विधायक चुनकर सदन में पहुंचते रहे हैं। इस बीच एक बार भी ऐसा मौका नहीं आया है, जब कोई महिला विधायक चुनी गई हों। अगर मतदाताओं के लिहाज से बात की जाए तो उन्नाव में लगभग 22 लाख 85 हजार 870 मतदाता हैं, जिसमें 12 लाख 40 हजार 612 महिला मतदाता हैं। उन्नाव में सियासी जानकार एवं डीएसएन डिग्री कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्नाव से विधानसभा में महिलाओं के न पहुंचने के पीछे एक मात्र कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा महिलाओं को कम मौका देना ही परिलक्षित होता है, जिसमें सुधार कर दो तिहाई विधानसभा क्षेत्र महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाने चाहिए।