दिनेश शाक्य
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को देश के राजनीतिक फलक में स्थापित कराने वाली जसवंतनगर विधानसभा सीट सपा का ऐसा अभेद्य दुर्ग है, जिसमें चार दशक से सेंधमारी की हर दल ने कोशिश की। हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का दावा है कि उनकी पार्टी मौजूदा चुनाव में इस मिथक को तोड़ने में सफल होगी।
जसवंतनगर को यादव के परिवार की परंपरागत सीट भी कहा जाता है। 1967 में इसी सीट से पहली दफा मुलायम चुनाव मैदान में उतरे और विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद छह बार इस सीट से वे चुनाव जीते। फिलहाल इस सीट पर उनके अनुज एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव विराजमान हैं जो 1996 से यहां अब तक अपराजेय हैं। छठी बार सपा के चुनाव चिह्न पर फिर चुनावी रणक्षेत्र में किस्मत आजमा रहे हैं।
प्रसपा प्रमुख के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने विवेक शाक्य और बहुजन समाज पार्टी ने वीपी सिंह को उम्मीदवार बनाया है। दोनों पहली बार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा की राज्यसभा सदस्य एवं उत्तर प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष गीता शाक्य ने कहा कि यह लोकतंत्र है। सैफई परिवार में जन्म लेने से कोई बड़ा नहीं हो जाता। शिवपाल सिंह यादव कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं। लोकतंत्र में भ्रम हो जाना बड़ी समस्या हो जाती है। भाजपा उम्मीदवार विवेक शाक्य दावे के साथ कहते हैं कि गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही पुराने साथी ने पराजित कर दिया जो उनके मुकाबले मामूली से आदमी ही थे, ऐसे में कोई मुगालता पालना ठीक नहीं है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया ने दावा किया कि जसवंतनगर सीट का समीकरण भाजपा के पक्ष में मजबूत हो चला है। 2017 में जब सपा को पूरे प्रदेश में 47 सीटें मिलीं थीं, तब भी शिवपाल को यहां से अच्छी जीत मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल ने भाजपा के मनीष यादव को 52616 वोट से शिकस्त दी थी जबकि 2012 में भी इस सीट पर बसपा के मनीष यादव को हराकर उन्होंने जीत दर्ज की थी।
जसवंतनगर की सबसे अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और क्षेत्रफल में भी सर्वाधिक है क्योंकि सैफई तहसील का क्षेत्र और ताखा तहसील का क्षेत्र भी इसी विधानसभा में लगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक दृष्टिकोण से ब्राह्मण, राजपूत कम संख्या में हैं। वहीं पिछड़े वर्ग में यादव, लोधी, शाक्य, पाल, राजपूत, निषाद, मल्लाह, बाथम, कहार, सविता, अनुसूचित समाज में जाटव, कोरी, धानुक समाज के सर्वाधिक लोग निवास करते हैं। यही लोग वोट करके अपना उम्मीदवार चुनने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं।