लंबे समय से रिश्तों में आई दरारों के बाद आखिरकार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और प्रसपा (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बीच सुलह हो गई। गुरुवार को अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन की पुष्टि की। वहीं, इन दोनों नेताओं के साथ आने पर भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव पर हमला बोला है।
टाइम्स नाउ नवभारत के डिबेट शो के दौरान शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की पार्टी के बीच गठबंधन के मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने यादव परिवार के बीच हुए झगड़े का जिक्र किया और कहा, ”क्या अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव द्वारा उन्हें (अखिलेश यादव) 2018 में कंस कहने के लिए माफी मंगवाई या फिर अखिलेश यादव ने मान लिया कि उनके चाचा ने जिस शब्दावली का इस्तेमाल किया था, वह सही था।”
भाजपा नेता ने आगे कहा, ”अखिलेश यादव के परिवार ने सत्ता को केवल अपने परिवार में ही बांटने का काम किया है। इसलिए, उनका स्वभाविक गठबंधन कुनबे के साथ बनता है। मैं पूछना चाहता हूं कि जनता के लिए इन्होंने कभी कुछ किया है क्या?” पूनावाला ने अखिलेश यादव पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा नेता आईपी सिंह कभी इस पार्टी के अध्यक्ष बन सकते हैं क्या?
भाजपा नेता ने कहा, ”परिवार के बाहर क्या कभी इन्होंने किसी को मुख्यमंत्री बनने दिया है? क्या किसी को परिवार के बाहर कभी अध्यक्ष बनने दिया है? इस दौरान सपा नेता आईपी सिंह ने भी भाजपा पर जाति-धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया।
आईपी सिंह से जब एंकर ने पूछा कि यूपी चुनाव 2017 में चाचा-भतीजे में जो मनभेद सामने आए थे, वह 2022 के चुनाव से पहले दूर कैसे हुआ? दोनों दलों के बीच क्या फॉर्मूला तय हुआ है? इस सवाल के जवाब में आईपी सिंह ने कहा, ”5 सालों में चीजें बहुत बदल जाती हैं, परिस्थितियां बदलती रहती हैं।” हालांकि, आईपी सिंह ने एंकर के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि दोनों दलों के बीच गठबंधन होगा या शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का विलय होगा।