शंकर दास
बरेली जिले के बिथरी चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा सहित सभी प्रमुख दलों ने नए चेहरों को चुनावी दंगल में उतारा है। इस चुनाव क्षेत्र को पहले सन्हा के नाम से जाना जाता था। परिसीमन के बाद इसमें कैंट के विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों को जोड़ कर नया चुनाव क्षेत्र बिथरी चैनपुर बनाया गया है। अफीम की खेती इस इलाके में होती रही है।
इस चुनाव क्षेत्र में परिसीमन के बाद हुए 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर वीरेंद्र सिंह विधायक चुने गए थे। वे इससे पहले 2007 में कैंट क्षेत्र से विधायक रहे थे। इस चुनाव क्षेत्र से 2017 के चुनाव में भाजपा के राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचे थे। भाजपा ने इस बार यहां से पप्पू भरतौल को दोहराने के बजाय उनका टिकट काटकर संघ पृष्ठभूमि के डा राघवेंद्र शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने यहां पूर्व विधायक दिवंगत वीरेंद्र सिंह के बेटे आशीष पटेल को उम्मीदवार बनाया है। सपा की ओर से यहां चुनावी दंगल मेंं पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष अगम मौर्य ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस ने यहां भाजपा की बागी महिला नेता अलका सिंह पर दांव लगाया है।
इस क्षेत्र के कुल तीन लाख 92 हजार 107 मतदाताओं में मुसलिम 19 फीसद हैं। सवर्ण यहां 44 फीसद हैं जिनमें सर्वाधिक क्षत्रिय समाज के मतदाता हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की भी यहां अच्छी तादाद है। वैश्य, कायस्थ और दूसरी सवर्ण जातियों की संख्या अपेक्षाकृत काफी कम है। पिछड़ी जातियां 24 फीसद हैं जिनमेंं लोध, कुर्मी, यादव और कश्यप शामिल हैं। दलित जातियां यहां 12 फीसद हैं। पंजाबी और अन्य जातियां एक फीसद हैं। भाजपा के उम्मीदवार डा. राघवेंद्र शर्मा विकास के मुद्दे पर घर-घर प्रचार कर रहे हैं। वे मोदी और योगी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को गिनाकर लोगों को अपने पाले में लाने में जुटे हुए हैं लेकिन यहां उन्हें ध्रुवीकरण का लाभ मिलने की संभावना भी है।
सपा के उम्मीदवार अगम मौर्य की चुनावी उम्मीदें मुसलिम और पिछड़ी जातियों पर टिकी हुई हैं। बसपा के उम्मीदवार आशीष पटेल अपने पिता पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह के दो बार के कार्यकाल 2007 से लेकर 2017 तक क्षेत्र में किए गए विकास के कामों को गिनाकर वोट मांग रहे हैं। क्षेत्र में उनके पिता काफी लोकप्रिय रहे थे। भाजपा का टिकट न मिलने से नाराज होकर बागी हुई अलका सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। वे महिला सुरक्षा, क्षेत्र के विकास और दूसरे मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं।