किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी, एक साल से भी ज्यादा समय तक चले इस आंदोलन के खत्म होने के साथ ही टिकैत की सियासी पारी की संभावनाओं ने जोर पकड़ लिया है। अब जब वह आंदोलन स्थल से लौटकर अपने घर की तरफ बढ़ रहे हैं तो इन संभावनाओं का दायरा भी बढ़ रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का न्यौता दिया है। उन्होंने यह बात समाचार चैनल आजतक से बातचीत के दौरान कही।
जौनपुर में रैली के दौरान अखिलेश यादव ने समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि राकेश टिकैत को मैं लंबे वक्त से जानता हूं और वह समय समय पर किसानों के मुद्दों को उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी हमारी कोई बातचीत नहीं है लेकिन हमारे संबंध और बातचीत का सिलसिला पहले भी था और आगे भी रहेगा। क्या आप अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए कहेंगे, इस सवाल पर अखिलेश ने कहा कि मैं अभी कुछ नहीं कह सकता हूं। ये निर्णय राकेश टिकैत पर है क्योंकि वह और उनके साथी जानते हैं कि राजनीति क्या है और आंदोलन कैसे करते हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि अगर वह चुनाव लड़ना चाहते हैं तो ये अच्छी बात है और उनका स्वागत है।
बताते चलें कि दिल्ली के एंट्री प्वाइंट गाजीपुर पर एक साल पहले डेरा जमाने वाले किसान, आंदोलन के ‘स्थगन’ के साथ आखिरकार बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में विजय यात्रा के साथ घरों को लौट गए।
गाजीपुर से किसानों के रवाना होने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए भाकियू प्रवक्ता टिकैत ने सहयोग के लिए जनता का आभार जताया और कहा ‘‘383 दिनों तक चले आंदोलन ने बहुत कुछ सिखाया है और इसे याद रखा जाएगा। आंदोलन की खट्टी मीठी, कड़वी यादें हमेशा साथ रहेगी।‘’ इसके बाद टिकैत समर्थकों के साथ गाजीपुर से मुजफ्फरनगर जिले के अपने गांव सिसौली के लिए रवाना हुए।
टिकैत ने गाजीपुर से रवानगी के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर भी साझा किए। टिकैत ने ट्वीट किया “13 महीने सड़क पर संघर्ष, आज घर वापसी देश के नागरिकों का हार्दिक आभार।” इससे पहले सुबह गाजीपुर बार्डर पर हवन किया गया और प्रसाद में हलवा और खीर बांटी गई। गाजीपुर से सामान को समेटने के बीच सुबह घर के लिए रवाना हो रहे किसानों के लिए लंगर में नाश्ते-भोजन का भी प्रबंध किया गया था।
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में आंदोलन शुरू किया था और हाल ही में केंद्र सरकार ने इन कानूनों को रद्द कर दिया था जिसके बाद किसानों की घर वापसी हुई है।