यूपी में चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कुछ ही दिनों के भीतर पहले चरण के लिए नामांकन शुरू होने जा रहा है। इस बीच प्रदेश सरकार में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अचानक पद और पार्टी से इस्तीफा देकर राजनीति गर्मा दी। उनके इस्तीफे से पार्टी और सरकार पर कितना असर पड़ेगा और समाजवादी पार्टी में उनके जाने से अखिलेश यादव को कितना फायदा मिलेगा, इसको लेकर लोगों की अलग-अलग राय है।

ABP C-Voter Survey के ओपिनियन पोल में 40 फीसदी लोगों ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से भाजपा पर असर पड़ेगा, लेकिन इससे थोड़ा ज्यादा 47 फीसदी लोगों ने कहा कि मौर्य के इस्तीफे से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा। भाजपा और सरकार दोनों मजबूत स्थिति में है। 13 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें नहीं पता है।

समाजवादी पार्टी की एक महिला नेता ने कहा कि “स्वामी प्रसाद मौर्या तो अभी झांकी हैं और भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता अभी आना बाकी हैं।” उन्होंने बताया कि उनके नेता अखिलेश यादव सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रहे हैं और वे लोग 2022 में विकास के मॉडल और सोशल इंजीनियरिंग के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।

दूसरी तरफ भाजपा के लोगों का कहना है कि “स्वामी प्रसाद मौर्या के जाने से कोई नुकसान नहीं होने वाला है। कहा कि पहले बसपा में रहे, फिर पांच साल मलाई भाजपा में खाए, अब अगर इन्हें छोड़ना था तो पहले ही छोड़ते चुनाव के वक्त क्यों छोड़े, बाद में सपा में चले गए। इनका तो दौड़भाग लगा ही रहता है।”

स्वामी प्रसाद मौर्या के ठीक बाद उत्तर प्रदेश सरकार में वन, पर्यावरण एवं जन्तु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी बुधवार को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। मऊ की मधुबन सीट से विधायक चौहान ने कहा कि पिछड़ों, दलितों, किसानों और बेरोजगार युवाओं के प्रति सरकार की उपेक्षा के चलते वह इस्तीफा दे रहे हैं।

इनके अलावा बांदा जिले के तिंदवारी विधानसभा सीट से विधायक बृजेश कुमार प्रजापति, शाहजहांपुर जिले के तिलहर विधानसभा सीट से विधायक रोशन लाल वर्मा तथा कानपुर देहात के बिल्हौर सीट से विधायक भगवती सागर ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया।