उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गोरखपुर की अर्बन सीट को लेकर संघ परिवार में दरार पड़ गई है। साल 2002 से विधायक रहे भाजपा के राधा मोहन अग्रवाल आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के सांसद योगी आदित्यनाथ की मदद के बिना प्रचार कर रहे हैं। आरएसएस और योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर में मजबूत पकड़ है। अग्रवाल ने कभी सार्वजनिक रैली नहीं की और ना ही उनका कोई चुनावी दफ्तर है। वे अपनी मारूती 800 कार से घूमते हैं और लोगों से सीधे मिलते हैं।
शहर की राजनीति मठ समर्थक और मठ विरोधी दो खेमों में बंट गई है। सूत्रों के मुताबिक अग्रवाल ने आरएसएस नेताओं से शिकायत भी की है कि कुछ प्रचारक उनके खिलाफ काम कर रहे हैं। हालांकि, उनके एक चुनाव मैनेजर ने कहा, ‘वो कुछ भी करें, राधा मोहन अग्रवाल को हरा नहीं सकते, भले ही थोड़ा मार्जिन कम हो जाए।’ बुधवार को बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने के बाद अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मेरे पास सभी का आशीर्वाद है। मेरे पास जो कार्यकर्ता है, उनमें कोई आरएसएस कार्यकर्ता नहीं है, ये सब मेरे हैं। मैं राजनीतिक कामों के लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं पर निर्भर नहीं हूं।’
पेशे से डॉक्टर अग्रवाल ने इस सीट से साल 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल की थी। योगी आदित्नयाथ ने ही पहली बार उनका नाम सुझाया था। लेकिन बताया जा रहा है कि सांसद आदित्यनाथ अब पार्टी में उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। योगी ने अग्रवाल के इलाके में कोई भी रैली को संबोधित नहीं किया है। गुरुवार को भाजपा प्रमुख अमित शाह के रोड शो में गोरखपुर अर्बन और रूरल के उम्मीदवारों के साथ योगी जरूर दिखेंगे। योगी के कैम्पेन से गायब होने के बारे में अग्रवाल का कहना है, ‘मैंने कोई रैली या नुक्कड़ सभा नहीं की। मैं लोगों से उनके घर जाकर मिलता हूं, यही मेरी ताकत है।’
पूरे क्षेत्र में कई पार्टी द्वारा टिकट बंटवारे से नाराज हैं। गोरखपुर में एक आरएसएस प्रचारक ने बताया कि जब टिकटों की घोषणा हुई और संघ नेता नाराज हुए तो कुछ प्रचारकों को कहा गया कि आपको आने की जरूरत नहीं है।