हिंदुस्तान की सियासत में उत्तर प्रदेश का केंद्रीय महत्त्व है तो उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का। सत्ताधारी सपा और मुख्य विपक्षी बसपा को लेकर मुसलमान बंटे हुए हैं। जहां मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर अखिलेश कठघरे में हैं तो मुसलमानों का एक तबका अन्य मुद्दों को देखते हुए इसे नरअंदाज करना चाहता है। शांति और अच्छे प्रशासन के लिए बहुत से मुसलमान मायावती के दिन को याद कर रहे हैं। मऊ के शाहिद जमाल बीडीसी अखिलेश सरकार से खासे खफा हैं। उनकी नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है मुजफ्फरनगर दंगा। वे कहते हैं कि आप जाकर मुजफ्फरनगर की हालत देखिए। वहां आज भी लोग शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। मुलायम सिंह ने कहा था कि जब हम हुकूमत में आएंगे तो जितने भी बेकसूर मुसलमान जेल में बंद हैं सबको रिहा करवाएंगे। लेकिन अखिलेश सरकार ने तारिक कासमी के साथ क्या किया? जमाल कहते हैं कि मुलायम सिंह ने वादा किया था कि जितने मुसलिम अक्सरियत वाले इलाके हैं वहां हर थाने में मुसलिम थानेदार होगा। बुनकरी पूर्वांचल के लोगों की रोजी-रोटी का सबसे बड़ा जरिया है। सपा ने कहा था कि हम बुनकर को उद्योग-धंधे में शामिल करेंगे और शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों को 18 फीसद आरक्षण देंगे। जमाल का आरोप है अखिलेश यादव ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया। जमाल कहते हैं कि यह तो मुलायम सिंह ने ही कहा था कि अखिलेश मुसलमानों को नजरअंदाज करते हैं। अखिलेश तो एक मुसलिम डीजीपी की पोस्टिंग से भी नाखुश थे। इससे तो अच्छा है कि बसपा आए। हमारा अनुभव है कि बसपा के राज में शांति रहती है और गुंडे जेल में रहते हैं।
वहीं, घोसी (मऊ) के शमशाद अहमद कहते हैं कि मुजफ्फरगनर दंगों में अखिलेश सरकार नाकाम रही। कुंडा में शहीद हुए डीएसपी जियाउल हक को इंसाफ नहीं मिला। मुख्तार को यह कहकर टिकट नहीं दिया कि वह माफिया है लेकिन राजा भैया को मंत्रिपद देने से कोई गुरेज नहीं किया। आजमगढ़ के मसूद आलम कहते हैं कि बाकी दल घोषणाएं तो बहुत करते हैं लेकिन सिर्फ अखिलेश यादव हैं जिन्होंने मुसलमानों के लिए जमीन पर कुछ किया है। उन्होंने बुनकरों को बिजली में सबसिडी दी। इनके शासनकाल में ही लंबे समय के बाद उर्दू शिक्षकों की भर्ती हुई। इसके साथ ही विद्यार्थियों को लैपटॉप दिया जिससे कमजोर तबके के छात्रों को बहुत फायदा हुआ। शादी के लिए मुसलिम लड़कियों को आर्थिक मदद दी। समाजवादी पेंशन भी जरूरतमंदों तक पहुंची।
कुशीनगर के मोहम्मद आरिफ हर पार्टी से निराशा जताते हुए कहते हैं कि अन्य सभी पार्टियां भाजपा का डर दिखा कर हमें सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती हैं। आरिफ पीस पार्टी और उसके नेता डॉक्टर अयूब की वकालत करते हुए कहते हैं कि वे एक पढ़े-लिखे नेता हैं जो विधानसभा में अकेले दम पर फिरकापरस्तों के खिलाफ डट कर मुकाबला करते हैं। यही एकमात्र नेता हैं जो सच्चे दिल से गरीबों और बुनकरों की लड़ाई लड़ते हैं। वहीं इलाहाबाद के शाहिद को अखिलेश सरकार से कोई शिकायत नहीं है। शाहिद मानते हैं कि इस वक्त उत्तर प्रदेश में भाजपा को सिर्फ अखिलेश यादव ही टक्कर दे सकते हैं। वे कहते हैं कि अखिलेश तरक्कीपसंद युवा हैं और उनकी एक साफ-सुथरी छवि है, इसलिए उन्हें दूसरा मौका देना ही चाहिए।