सर्वेश कुमार
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल क्षेत्रों की अहम भूमिका होगी। इन क्षेत्रों की एक तिहाई सीटें जीत हार का फैसला तय करेगी। छत्तीसगढ़ के इस क्षेत्र में 2018 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश की 29 में से चार सीटों पर भाजपा जबकि शेष पर कांग्रेस को जीत मिली थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस को इन सीटों पर जीत हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उधर, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने इस बार धान पर सबसिडी बढ़ाने का भी कार्ड खेल दिया है। इस बार भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की जमीनी स्तर पर लगातार मेहनत और मजबूत वोट बैंक की बदौलत पार्टी और अधिक सशक्त स्थिति में है।
कांग्रेस का कुछ दिन पहले साथ छोड़ने वाले सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी बाहुल क्षेत्रों में मतदाता उसे ही समर्थन देंगे, जो जल-जंगल और जमीन के लिए कानून को लागू करने के लिए ईमानदारी से कोशिश करेगा, उन्हें ही समाज के लोग समर्थन देंगे। नेताम ने कहा कि पिछले चुनाव में इस आंदोलन की बदौलत कांग्रेस को आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जीत मिली थी। लेकिन पार्टी का रवैया बदलने की वजह से उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ा है। उन्होंने कहा कि हमर राज पार्टी के 40 से अधिक उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। पार्टी को आदिवासियों का पूर्ण समर्थन है।
छत्तीसगढ़ में पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर भाजपा को महज 15 सीटों पर जीत मिली थी। आदिवासियों के लिए सुरक्षित सीटों पर भाजपा को काफी नुकसान हुआ था। पार्टी को अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित 29 में से महज चार सीटों पर जीत मिली थी। इस बार भाजपा भी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है।
सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की सरकार ने धान की खरीद पर अधिक कीमत देने की घोषणा कर दी है। एक नवंबर से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदने का किसानों को भरोसा दिया है। इसके लिए कीमत भी 2,640 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2,800 रुपए करने की घोषणा की गई है। कांग्रेस ने यह भी वादा किया है कि अगर सत्ता में दोबारा काबिज हुई तो सरकार किसानों से 3,000 रुपए धान खरीदेगी।