सर्वेश कुमार

वर्षों से अपने हक का इंतजार कर रहे छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज को हक दिलाने के लिए पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में हमर राज पार्टी उतरी है। पार्टी ने अब तक 40 सीटों से अपने उम्मीदवारों को चुनावी जंग में उतारने की घोषणा की है। अलग राज्य बनने के बाद भी अब तक आरक्षण का इंतजार कर रहे लाखों आदिवासी मतदाताओं ने अपने समाज के हितों को पूरा करने का भरोसा दिलाने वाली पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है। इससे कांग्रेस-भाजपा को मतों का नुकसान होने की चिंता सताने लगी है।

छत्तीसगढ़ के चुनावी समर में कांग्रेस, भाजपा. आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, हमर राज पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं। जानकारों का कहना है कि मतों का विभाजन होने से आदिवासियो के लिए आरक्षित 29 सीटों पर जीत-हार का अंतर और कम हो सकता है। कांग्रेस का साथ छोड़ चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का दावा है कि आदिवासियों की दोनों दलों में सुनवाई नहीं हुई।

छत्तीसगढ़ के गठन के बाद आदिवासी समाज को अब तक 33 फीसद आरक्षण सहित कई फायदों से वंचित रहना पड़ा। इसे देखते हुए अपना आंदोलन जारी रखते हुए समाज ने इस बार हमर राज पार्टी को समर्थन देने का मन बनाया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में दंतेवाड़ा के अलावा बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, बलरामपुर, सुकमा, कोरबा सहित आदिवासियों के लिए आरक्षित 12 सीटों पर कांग्रेस को भाजपा से 5 से 27 फीसद अधिक वोट मिले थे। दंतेवड़ा में भाजपा को करीब दो फीसद अधिक वोट मिले थे।