पिछले साल तक हर चुनाव में बुरी तरह हार रही कांग्रेस घुटनों पर थी। वह हर राज्य में छोटे से छोटे दल से भी गठबंधन करने के लिए तैयार थी। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरकार बनने के बाद कांग्रेस की बॉडी लैंग्वेज में बदलाव आया। वहीं, 23 जनवरी को प्रियंका गांधी को यूपी (पूर्व) का महासचिव बनाए जाने के बाद कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ गया है। इसकी झलक पार्टी के तेवर में भी नजर आने लगी है, जिसका नतीजा है कि कांग्रेस ने अब आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। वहीं, यूपी में पार्टी सपा-बसपा के गठबंधन से पहले ही अलग है। मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर किस तरह तैयारी कर रही है कांग्रेस, जानते हैं इस रिपोर्ट में :

आंध्र में लिया यह फैसला : आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों और 175 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस अब अकेले चुनाव लड़ेगी इसकी घोषणा कांग्रेस नेता ओमान चांडी ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू के बीच हुई मुलाकात के एक दिन बाद की। इसका मतलब यह है कि आंध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) और कांग्रेस के बीच आगामी चुनावों में महागठबंधन नहीं होगा। दोनों दलों ने इससे पहले तेलंगाना चुनाव में गठबंधन किया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

इस वजह से बढ़ी खटास : राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कांग्रेस तेलंगाना में टीडीपी की पकड़ काफी कमजोर मानती है। वहीं, कांग्रेस के बारे में ऐसा ही विचार आंध्र प्रदेश को लेकर टीडीपी के मन में भी है। चंद्रबाबू नायडु के हिसाब से आंध्र प्रदेश में इस वक्त कांग्रेस की पकड़ खत्म हो चुकी है, क्योंकि तेलंगाना बनाने के बाद आंध्र के लोगों में कांग्रेस के प्रति काफी नाराजगी है।

यह रणनीति भी हो सकती है आंध्र में : सूत्रों की मानें तो आंध्र में अलग-अलग रहकर चुनाव लड़ना कांग्रेस और टीडीपी दोनों दलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे एंटी टीडीपी वोट कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है, जिसका फायदा विपक्षी राजनेता जगन मोहन रेड्डी को नहीं मिलेगा।

यूपी में भी अकेले खेलेंगे दांव : 2014 से 2017 तक पंजाब के अलावा अधिकतर मोर्चों पर बीजेपी से मात खाने के बाद कांग्रेस हर पार्टी से गठबंधन के लिए तैयार थी। यहां तक कि कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस ने राजनीतिक मंच पर एंटी-बीजेपी दलों की ताकत भी दिखाई थी। इसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के नतीजों ने कांग्रेस की स्ट्रैटिजी में काफी बदलाव ला दिया। यूपी में सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस को किनारे किया तो पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गई।

पश्चिम बंगाल में लिया ऐसा फैसला : पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के गठबंधन की अटकलें पूरी तरह थम चुकी हैं। बंगाल कांग्रेस ममता दी के साथ नहीं चलना चाहती है। इसका संदेश राहुल गांधी ने ममता की कोलकाता रैली में भी दिया। विपक्ष की इस मेगा रैली में राहुल ने अपने 2 प्रतिनिधियों अभिषेक मनु सिंघवी और मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा था। वहीं, टीएमसी का मानना है कि कांग्रेस से गठबंधन करके उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। गठबंधन होने पर टीएमसी को सीटों का बंटवारा करना पड़ेगा, जिससे पार्टी को नुकसान होने की आशंका ज्यादा है।

प्रियंका के आते ही बदली कांग्रेस : यूपी में प्रियंका गांधी के कमान संभालने के बाद कांग्रेस के तेवर बदले हुए नजर आने लगे हैं। वहीं, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद कहा है कि कांग्रेस अब बैकफुट नहीं, फ्रंट फुट पर खेलेगी। हालांकि, पार्टी अभी महाराष्ट्र में एनसीपी, तमिलनाडु में डीएमके और कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन पर विचार कर रही है।