सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रमजीत मजीठिया की याचिका पर सुनवाई करते ड्रग मामले में उनकी गिरफ़्तारी पर 23 फ़रवरी तक के लिए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मजीठिया को बड़ी राहत मिली है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे मामले चुनाव से पहले ही अचानक आने शुरू हुए हैं। वहीं भाजपा विधायक नितेश राणे से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि लगता है कि सुप्रीम कोर्ट अब अग्रिम जमानत के मामलों की सुनवाई के लिए अदालत में बदल गया है।

सोमवार को अकाली दल के नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई और कहा कि हमें यह कहने में खेद है कि ऐसे आपराधिक मामले चुनाव से ठीक पहले आ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने लोक इंसाफ पार्टी के नेता सिमरनजीत सिंह बैंस के केस का भी हवाला दिया और कहा कि उनके खिलाफ भी चुनाव से पहले आपराधिक मामले दर्ज किए गए।

इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि मजीठिया को 23 फरवरी, 2022 तक गिरफ्तार नहीं किया जाए। गौरतलब है कि 20 फरवरी को पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप ड्रग माफियाओं पर नियंत्रण न करें। लेकिन चुनाव हो जाने दें। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 23 फरवरी को मजीठिया को निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा।

बता दें कि ड्रग्स का मामला 2013 का है और एक विशेष टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसे 2018 में उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। बीते दिनों 24 जनवरी को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बिक्रमजीत मजीठिया की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए तीन दिनों के लिए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।

वहीं सोमवार को न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने हत्या के प्रयास के एक मामले में भाजपा नेता नितेश राणे के सह-आरोपी गोट्या सावंत द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट केवल अग्रिम जमानत के मामलों की सुनवाई करने वाले अदालत में बदल गया है।

शीर्ष अदालत ने गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को इस मामले में 10 दिनों के लिए गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी। राणे के ऊपर महाराष्ट्र के कंकावली क्षेत्र में 18 दिसंबर 2021 को शिवसेना के एक सदस्य की हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था।