उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है। सपा और कांग्रेस के लिए अगली चुनौती प्रचार अभियान के लिए जमीन पर समन्वय सुनिश्चित करना और लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे को वोट ट्रांसफर करना होगा। स्थानीय नेताओं ने कहा कि उन्हें अभी तक शीर्ष से कोई निर्देश नहीं मिले हैं कि गठबंधन जमीन पर कैसे काम करे।
कांग्रेस नेता सपा नेताओं से कर रहे मुलाकात
सबसे पहले 25 फरवरी को गोंडा में सपा नेताओं ने कांग्रेस के जिला कार्यालय का दौरा किया और पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पोती सपा उम्मीदवार श्रेया वर्मा के समर्थन में संयुक्त रूप से काम करने का संकल्प लिया। साथ ही सपा के अंबेडकरनगर से उम्मीदवार लालजी वर्मा ने कांग्रेस जिला कार्यालय का दौरा किया और वहां एक बैठक की। इसी तरह सपा के फैजाबाद से उम्मीदवार और मौजूदा विधायक अवधेश प्रसाद ने समर्थन मांगने के लिए जिले में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री के घर जाकर मुलाकात की।
कांग्रेस ने अब तक 17 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है लेकिन पिछले हफ्ते बाराबंकी से पार्टी के संभावित उम्मीदवार तनुज पुनिया ने पूर्व राज्य मंत्री अरविंद सिंह गोप और राकेश कुमार वर्मा जैसे सपा नेताओं से मुलाकात की है। तनुज पुनिया स्थानीय पदाधिकारियों से मिलने के लिए आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के जिला कार्यालय भी गए।
दोनों दलों के उम्मीदवार अपने कैडर को एक मंच पर लाने की चुनौती को पूरा करने और किसी भी भ्रम या शर्मिंदगी से बचने के लिए एक-दूसरे के साथ तालमेल सुनिश्चित करने के लिए एक दूसरे से मुलाकात कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि 2017 में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन तो था लेकिन उनकी स्थानीय इकाइयों ने एक दूसरे से किनारा कर लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि दोनों पार्टियों ने कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे।
हालांकि स्थानीय नेताओं में अभी भी कुछ भ्रम बना हुआ है। अंबेडकरनगर में एक कांग्रेस नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”काम के बंटवारे को लेकर भ्रम की स्थिति है। हमें नहीं पता कि यहां कांग्रेस कैडर को क्या जिम्मेदारियां उठानी होंगी, हमारे कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर के एजेंट के रूप में काम करना होगा या नहीं। हमारी पार्टी ने हमारे जिला अध्यक्ष और लोकसभा समन्वयकों को बूथ अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए कहा है, लेकिन हमें नहीं पता कि उनके कार्य क्या होंगे या वे सपा नेताओं के साथ कैसे समन्वय करेंगे। यहां हम सपा और उसके उम्मीदवार की योजनाओं पर निर्भर हैं।” सपा के लालजी वर्मा अंबेडकरनगर से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं।
कांग्रेस के पास संसाधन की कमी
कांग्रेस नेता ने कहा कि जिम्मेदारियां सौंपने और मतभेदों को सुलझाने के लिए हर जिले में दोनों दलों के नेताओं की एक समन्वय समिति गठित की जानी चाहिए। एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा, ”हमें ब्लॉक, मंडल, बूथ अध्यक्ष और बूथ स्तर के एजेंटों की नियुक्ति करने के लिए कहा गया है। लेकिन उन्हें संसाधनों की जरूरत है। कांग्रेस के चुनाव नहीं लड़ने से कुछ लोग निष्क्रिय हो गये हैं। क्या सपा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रचार के लिए मदद मुहैया कराएगी? ये व्यावहारिक प्रश्न हैं जो हमारे बूथ नेताओं द्वारा पूछे जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं तक पहुंच कर उन्हें एकजुट करना दोनों पार्टियों की जिम्मेदारी होनी चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “सीट-बंटवारे पर समन्वय पर शीर्ष स्तर पर मुहर लग चुकी है। लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच ऐसा होना अभी बाकी है। अब इसका समाधान होना चाहिए। अन्यथा चुनाव के बाद आरोप लगेंगे कि कांग्रेस का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ और उसके कार्यकर्ताओं ने सहयोग नहीं किया। कांग्रेस भी सपा पर यही आरोप लगाएगी।”
गोंडा में एक कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी के प्रदेश मुख्यालय ने राज्य भर में अपने इंडिया ब्लॉक पार्टनर के उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए सभी जिला इकाइयों को पत्र लिखा था। दोनों पार्टियों के सूत्रों ने कहा कि 2017 में भी इसी तरह का भ्रम था। बाराबंकी में एक सपा नेता ने कहा, “दो साल पहले हम यहां कांग्रेस का विरोध कर रहे थे। अब हमें एक दूसरे की तारीफ करनी है और अपने गठबंधन सहयोगी के लिए वोट की अपील करनी है। जमीनी कार्यकर्ताओं को एक साथ लाना एक चुनौती होगी।”
अमेठी में कांग्रेस को सपा की जरूरत
अमेठी में एक सपा नेता ने कहा, ‘”सपा की मदद के बिना कांग्रेस यहां नहीं जीत सकती। अमेठी में तीन लाख से ज्यादा यादव मतदाता हैं। अगर कांग्रेस को यहां जीतना है तो उसे अपने कार्यकर्ताओं से ज्यादा सपा का ख्याल रखना होगा। रायबरेली में एक सपा नेता ने कहा कि हम अपने कार्यों के संबंध में पार्टी नेतृत्व के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मतदाताओं को यह संदेश देने के लिए संयुक्त बैठकें आयोजित करनी होंगी कि दोनों पार्टियां भाजपा को हराने के लिए पूरी तरह से एकजुट हो गई हैं।
प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि समन्वय समितियों की मांग वरिष्ठ नेताओं के सामने रखी गई है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि कोई चुनौती नहीं है और पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता जीत के लिए हर संभव पहल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे से मिलने के लिए भेजा जा रहा है। फिलहाल फोकस गठबंधन उम्मीदवार के लिए प्रचार पर है, जिसे पार्टी प्राथमिकता के आधार पर कर रही है।”
नामांकन के बाद गतिविधियों में तेजी आएगी- सपा
वहीं सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ”दोनों पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच समझ विकसित हुई है। सभी 17 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए सपा की पूरी टीम पूरी निष्ठा से काम करेगी। उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने के बाद गतिविधियों में तेजी आएगी।”