उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ समय में समाजवादी पार्टी का ग्राफ काफी नीचे गिर गया है। वोट शेयर तो उसका काम हुआ ही है, अपने गड़ में भी पार्टी थोड़ी कमजोर हो गई है। लेकिन एक जमाने में समाजवादी पार्टी ना सिर्फ यूपी में सबसे ज्यादा ताकतवर थी बल्कि उसके पास ऐसे चेहरे मौजूद थे जिनके दम पर जनता बड़ी तादाद में उसे वोट देते थे।
समाजवादी पार्टी में ऐसे ही एक नेता है शिवपाल यादव जो पिछले कई दशकों से राजनीति में सक्रिय चल रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के राइट हैंड माने जाने वाले शिवपाल यादव ने अपनी खुद की एक पहचान बनाई है। शिवपाल क्योंकि मुलायम सिंह के छोटे भाई हैं, इस वजह से उन्हें राजनीति में कम समय में काफी तबज्जो मिल गई थी। अपने सियासी करियर की शुरुआती सालों में तो शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव के लिए पर्चे बांटने तक का काम किया था, दूसरे कई दिग्गज नेताओं की रैली का आयोजन भी शिवपाल के कंधों पर रहता था।
विधायक बनने से पहले शिवपाल यादव ने अपने सियासी करियर में जिला सहकारी बैंक में अहम जिम्मेदारी कई सालों तक निभाई। 1988 से 1991 तक वे इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे थे। इसके बाद 1994 से 1998 के बीच में यूपी के सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष पद पर भी बने रहे। 13वीं विधानसभा का चुनाव हुआ तब जसवंत नगर सीट से शिवपाल यादव ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और रिकॉर्ड मत हासिल किए।
उसके बाद तो समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव का कद बढ़ता गया। पहले वे सपा के प्रदेश महासचिव बनाए गए, उसके बाद 2009 में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी काम संभाला। 2009 तक में शिवपाल यादव की भूमिका इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मायावती सरकार के दौरान वे नेता प्रतिपक्ष भी रहे। इसके बाद 2012 में जब अखिलेश यादव की अगुवाई में एक बार फिर यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, निर्माण, सिंचाई और सहकारिता मंत्रालय शिवपाल यादव के खाते में गए थे।
अखिलेश के 5 सालों के दौरान शिवपाल यादव का सपा में ग्राफ गिरता गया और उनकी अखिलेश यादव से भी ज्यादा नहीं बनती थी। हैरानी की बात ये रही कि मुलायम सिंह यादव के जिंदा रहते हुए शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी खुद की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना डाली थी। लेकिन नेताजी के निधन के बाद दिल की दूरियां फिर कुछ कम हुई थीं। इसी वजह से जब मैनपुरी से डिंपल यादव को उतारा गया तो उपचुनाव में शिवपाल ने जमीन पर खूब मेहनत की और ऐतिहासिक वोटो से डिंपल की जीत हुई।
अब इस बार आगामी लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने शिवपाल पर भरोसा जताते हुए उन्हें बदायूं सीट से उतरा है। लेकिन बड़ी बात ये है कि खुद शिवपाल अब इस सीट से लड़ना नहीं चाहते, उन्होंने अपने बेटे आदित्य यादव को यहां से लड़वाने की बात कर दी है। शिवपाल सिंह यादव की निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 6 अप्रैल 1955 को सैफई में हुआ था। बचपन से ही शिवपाल यादव को सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में काफी दिलचस्पी थी, मरीज को अस्पताल पहुंचने से लेकर उनको न्याय दिलवाने तक, हर काम में वे आगे रहते थे, उसे समय सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में जाना भी उनकी रुचि का अहम हिस्सा था।