महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से सियासी उठा-पटक देखने को मिल रही है। पहले अजित पवार की बीजेपी के साथ जाने की अटकलें चली थीं, अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार के एक बयान ने सियासी तापमान को बढ़ा दिया है। मीडिया से बात करते हुए पवार ने महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के भविष्य पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि आगे कौन साथ रहेगा, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

पवार ने क्या बोला, क्यों सियासी हलचल?

जानकारी के लिए बता दें कि सोमवार को शरद पवार अमरावती में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। तब मीडिया ने उनसे सवाल पूछा कि क्या एनसीपी, 2024 में भी महा विकास अघाड़ी के साथ ही चुनाव लड़ने वाली है। इस सवाल पर पवार ने कहा कि आज महाराष्ट्र में अघाड़ी है, लेकिन आगे होगी या नहीं, अभी कह नहीं सकते। आज हम तो MVA का हिस्सा हैं, आगे काम करने की इच्छा भी रखते हैं। लेकिन इच्छा से क्या ही होता है। सीटों के बंटवारे से लेकर कई मुद्दों पर चर्चा करनी होती है। ऐसे में अभी इस सवाल का क्या ही जवाब दिया जाए। वैसे बाद में अपने ही बयान पर स्प्ष्टीकरण देते हुए पवार ने ये भी कहा कि वे हमेशा से महा विकास अघाड़ी की एकता के पक्ष में रहे हैं और उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि सीट शेयरिंग को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं हुई।

48 सीटें और पवार का रुख, MVA की बढ़ी टेंशन?

अब शरद पवार का ये बयान मायने रखता है क्योंकि महाराष्ट्र से लोकसभा की 48 सीटें निकलती हैं। हाल ही में कुछ सर्वे हुए हैं, उनके मुताबिक अगर महा विकास अघाड़ी एकजुट रहता है तो राज्य में बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान संभव है। लेकिन पवार का बयान बताता है कि अभी तक रणनीति को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है और किंतु-परंतु वाला दौर चल रहा है, ऐसे में राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। वैसे पवार ने तो जरूर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बताया, लेकिन उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने दो टूक कहा है कि महा विकास अघाड़ी आगामी लोकसभा चुनाव भी साथ लड़ने जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार महा विकास अघाड़ी के सबसे बड़े नेता हैं और उन्हीं के नेतृत्व में आगे भी चुनाव लड़ा जाएगा।

संजय राउत के अपने दावे

इससे पहले रविवार को संजय राउत ने एक बयान में यहां तक कह दिया था कि शिंदे सरकार आने वाले 15-20 दिनों में गिर जाएगी और उनका डेथ वारंट निकाल दिया गया है। उस बयान के पीछे उनका तर्क था कि आने वाले दिनों में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली याचिका पर सुनवाई होने वाली है। अगर फैसला उनके पक्ष में आ जाता है तो उस स्थिति में राज्य में बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है। उसी वजह से राउत की तरफ से ये बयान दिया गया।

वैसे इस समय महाराष्ट्र की सियासत में एक और चर्चा जोर पकड़ रही है। असल में शरद पवार ने वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर से मुलाकात की थी। उस मुलाकात के बाद ऐसे कयास लगाए गए कि प्रकाश अंबेडकर भी महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के साथ जुड़ जाएंगे। लेकिन अब VBA ने साफ कर दिया है कि मुलाकात सिर्फ कर्नाटक चुनाव को लेकर हुई थी क्योंकि कुछ सीटों पर दोनों एनसीपी और उनकी पार्टी लड़ रही है। यहां ये समझना जरूरी है कि बीएमसी चुनाव के लिए प्रकाश की पार्टी ने पहले ही उद्धव गुट से हाथ मिला रखा है। सत्ता परिवर्तन के बाद महाराष्ट्र में उस चुनाव को उद्धव की पहली बड़ी सियासी परीक्षा माना जा रहा है।