बिहार में लगभग सभी एग्जिट पोल गलत साबित हुए हैं। एनडीए गठबंधन ने बिहार चुनाव में महागठबंधन को पीछे छोड़ दिया और बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया। बिहार में एनडीए ने न केवल एग्जिट पोल को गलत साबित कर दिया बल्कि 15 साल की इनकंबेंसी को भी नकार दिया। इस जीत के पीछे कौन सी वजहें हैं। आइए जानते हैं आखिर जनता को ऐसा क्या पसंद आया कि बिहार में एक बार फिर नीतीश की सरकार वापस लौट आई।
जातिगत समीकरण
बिहार में महागठबंधन ने यादव और मुस्लिम वोटर्स को टारगेट किया था। वहीं एनडीए ने कुर्मी, ईबीसी और सवर्णों को साधा। बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटों को ध्रुवीकरण भी हो जाता है। एक रैली में पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि बिहार में जंगलराज को चाहने वाले लोग छठी मैया की धरती पर जय श्री राम और भारत माता की जय बोलने से परहेज करते हैं। एक तरफ महागठबंधन ने मिथिलांचल और सीमांचल में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की तो बीजेपी ने 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव की तरह इस दांव का काट निकाल लिया और हिंदू वोटों को अपने पक्ष में कर लिया।
वोट बैंक
महिलाओं और युवाओं के लिए कई योजनाओं की वजह से एनडीए को फायदा मिला। इस बार के मतदान में महिलाओं का वोट प्रतिशत भी ज्यादा रहा। इसमें से ज्यादातर वोट एनडीए को ही गया है। 2015 के विधानसभा चुनाव में यह वोट मोदी और नीतीश में बंट गया था। इस बार महिलाओं को वोट एनडीए को मिल गया। एनडीए की वापसी क्लियर होने के बाद पीएम मोदी ने बिहार की महिलाओं और युवाओं को धन्यवाद दिया था।
भावुक अपील
नीतीश कुमार और पीएम मोदी की भावुक अपील ने लोगों को उनके पक्ष में आने को मजबूर कर दिया। सीएम नीतीश कुमार ने एक रैली के दौरान कह दिया था कि यह मेरा आखिरी चुनाव है। हालांकि विपक्षियों का कहना था कि नीतीश इमोशनल ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ मोदी ने लोगो को कथित जंगल राज की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जाति और संप्रदाय को छोड़कर अच्छे प्रशासन के लिए वोट करिए। मोदी ने डबल इंजन की सरकार की बात करते हुए यह भी कहा कि महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश को केवल तीन साल मिले हैं। इन्हें और मौके की जरूरत है।
वोटों का बंटवारा
बिहार में महागठबंधन का काफी वोट बंट गया। यहां पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, असदुद्दीन की पार्टी और चिराग पासवान की पार्टी ने भी वोट काटने का काम किया। सीमांचल और मिथिलांचल में इस वजह से आरजेडी को वोटों को बड़ा नुकसान हुआ।
मोदी, नीतीश की कैश ट्रांसफर स्कीम
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम बिहार के चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई है। मोदी और नीतीश दोनों ने ही कोरोना क्राइसिस के समय में लोगों को डायरेक्ट लाभ देने की योजनाएं चलाई थीं। अप्रैल में मोदी सरकार ने महिलाओं के अकाउंट में पैसे भेजे। इसके अलावा एलपीजी कनेक्शन के लिए 5000 रुपये दिए गए। मनरेगा का भुगतान बढ़ा दिया गया। गरीब विधवाओं को को मदद राशि दी गई। इसके अलावा किसान सम्मान निधि से भी लोग प्रभावित हुए।