राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर अशोक गहलोत और सचिन पायलट का नाम एक साथ चर्चा में आया है। वजह एक अनुरोध पत्र को कहा जा रहा है। जिसे विधानसभा जमवारामगढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार गोपाल लाल मीणा ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को लिखा है। गोपाल लाल मीणा ने अनुरोध किया है कि सचिन पायलट को उनके निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के लिए तैनात किया जाए। राज्य में चुनाव काफी हद तक अशोक गहलोत केंद्रित होने के बावजूद अभी भी सचिन पायलट का नाम काफी प्रमुखता से लिया जा रहा है।
क्या कांग्रेस में पनप रही है गहलोत विरोधी लहर?
राजस्थान की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अशोक गहलोत ने अपनी सरकार के दौरान गृह लक्ष्मी जैसी कई योजनाओं के जरिए खुद को विकासशील मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की पूरी कोशिश की है लेकिन उनके लिए अभी भी सचिन पायलट और और उनको चाहने वाले विधायक मुश्किल के तौर पर सामने खड़े दिखाई देते हैं। इसका अंदाजा इस कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे गोपाल लाल मीणा के लेटर से लगाया जा सकता है, जिसमें वह चुनाव प्रचार में सचिन पायलट को भेजे जाने का अनुरोध कर रहे हैं। इसके अलावा यह भी मांग की जाने लगी है कि गहलोत और पायलट को एक साथ भी चुनावी मैदान में उतारा जाना चाहिए।
क्या एक साथ सामने आएंगे दोनों नेता?
राजस्थान में 2018 के बाद से कांग्रेस के भीतर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का विवाद सामने आता रहा है। कई मर्तबा कांग्रेस के केंद्रीय पदअधिकारियों ने इस मामले को शांत करने के प्रयास भी किए हैं। फिलहाल दोनों ही नेता विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी हित में बयान दे रहे हैं और कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए प्रचार में जुटे हैं। लेकिन दोनों के बीच सबकुछ ठीक हो गया है यह कहना अभी जल्दबाजी माना जा रहा है।
गोपाल लाल मीणा के लेटर के अलावा भी दोनों नेताओं के एक साथ एक मंच पर आने की मांग कांग्रेस कार्यकर्ता करते रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों दौसा में प्रियंका गांधी की रैली के अलावा दोनों नेता अभी तक साथ नहीं दिखाई दिए हैं।