राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 25 नवंबर को वोटिंग होगी। राजस्थान का झुंझुनूं जिला काफी चर्चा में बना हुआ। इस जिले में 7 विधानसभा सीटें आती हैं और इनमे से 5 पर कांग्रेस का कब्ज़ा है, जबकि महज 2 सीट पर बीजेपी के विधायक हैं। झुंझुनूं लोकसभा सीट भी है और यहां से सांसद बीजेपी नेता नरेंद्र कुमार हैं।
बीजेपी ने झुंझुनूं जिले की मंडावा विधानसभा सीट से बीजेपी सांसद नरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। ये सीट अभी कांग्रेस के पास है। इस सीट से बीजेपी सांसद नरेंद्र कुमार दो बार विधायक भी चुने जा चुके हैं। 2019 में नरेंद्र कुमार जब सांसद बन गए तब यहां उपचुनाव हुआ और फिर कांग्रेस की रीता चौधरी ने जीत हासिल की। वहीं इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में रीता चौधरी हैं।
मंडावा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है और इस पर केवल एक बार बीजेपी को जीत मिली है। वर्ष 2018 में नरेंद्र कुमार ने बीजेपी के टिकट पर मामूली डेढ़ हजार के अंतर से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस की रीता चौधरी को हराया था। इस सीट पर वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी रीता चौधरी दो बार विधायक बन चुकी है। 2008 में भी रीता चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर निर्दलीय नरेंद्र कुमार को हराया था। वहीं 2013 में नरेंद्र कुमार ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रीता चौधरी को मात थी।
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर नरेंद्र कुमार ने जीत हासिल की। वहीं जब 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ और बीजेपी ने नरेंद्र कुमार को झुंझुनूं लोकसभा सीट से सांसद उम्मीदवार बनाया, तो यह सीट खाली हो गई। इस सीट पर उपचुनाव हुआ और एक बार फिर से भाजपा यहां पर हार गई और रीता चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की।
नरेंद्र कुमार को बीजेपी ने बड़ी वजह से टिकट दिया है। नरेंद्र कुमार इकलौते ऐसे भाजपा नेता है जिन्होंने पार्टी के टिकट पर मंडावा विधानसभा सीट से चुनाव जीता है और तब जाकर यहां पर बीजेपी का खाता खुला। वहीं नरेंद्र कुमार 2013 में निर्दलीय भी 41 फीसदी वोट पाकर विधायक बन चुके हैं। 2013 में जब बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार बनी थी। इस दौरान भी बीजेपी मंडावा विधानसभा सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी।
राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अकेले दम पर बहुमत हासिल किया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 100 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि भाजपा को 73 सीट मिली थी।