राजस्थान के सियासी दलों में मतदान की तारीख करीब आते-आते रस्साकशी बढ़ रही है। कांग्रेस-भाजपा के अलावा कई अन्य पार्टियां भी मैदान में दिखाई दे रही हैं। राजस्थान में चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने जा रहा है। यहां चार विधानसभा सीटों पर ऐसे समीकरण बन रहे हैं जहां रिश्तेदार एक दूसरे के सामने खड़े हैं। जिसमें एक पति अपनी पत्नी और भतीजी अपने चाचाओं के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य की सभी 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। सीकर की दांता रामगढ़ सीट से अपने पति के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं रीता चौधरी ने सोमवार को मीडिया को बताया कि वह अपने अभियान में महिला सशक्तिकरण और पानी जैसे मुद्दों पर ध्यान दे रही हैं।
दांता रामगढ़ : रीता चौधरी
सीकर की दांता रामगढ़ सीट से अपने पति के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं रीता चौधरी ने सोमवार को मीडिया को बताया कि वह अपने अभियान में महिला सशक्तिकरण और पानी जैसे मुद्दों पर ध्यान दे रही हैं।” रीता चौधरी को जननायक जनता पार्टी ने मैदान में उतारा है। उनके पति वीरेंद्र चौधरी मौजूदा कांग्रेस विधायक हैं, वह फिरसे कांग्रेस की ओर से इस सीट पर मैदान में हैं। चौधरी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सात बार के विधायक नारायण सिंह के बेटे हैं।
यह परिवार परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, लेकिन इसमें राजनीतिक विभाजन तब हुआ जब रीता चौधरी इस साल अगस्त में जेजेपी में शामिल हो गईं और उन्हें जेजेपी की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2018 के विधानसभा चुनाव में रीता चौधरी कांग्रेस पार्टी से टिकट पाने चाहती थीं। लेकिन उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं क्योंकि पार्टी ने उनके पति वीरेंद्र को चुना। इसके बाद रीता ने अपना राजनीतिक आधार मजबूत करना शुरू कर दिया। दाता रामगढ़ का चुनाव इस हिसाब से अब काफी दिलचस्प हो गया है।
धोलपुर विधानसभा
धौलपुर विधानसभा सीट पर एक ही परिवार के दो सदस्यों के बीच मुकाबले में दिलचस्पी इस बात से बढ़ गई है कि दोनों नेताओं ने पार्टियां बदल ली हैं। शोभारानी कुशवाह ने 2018 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के डॉ. शिवचरण कुशवाह को हराकर सीट जीती थी।
शिवचरण की भाभी शोभारानी को पिछले साल जून में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग को लेकर बीजेपी ने निष्कासित कर दिया था। इस बार कांग्रेस ने शोभारानी को टिकट दिया है तो बीजेपी ने शिवचरण को मैदान में उतारा है। नागौर और खेतड़ी सीट पर चाचा अपनी भतीजियों के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुईं और उन्हें नागौर में पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया, जबकि कांग्रेस ने उनके चाचा हरेंद्र मिर्धा को अपना उम्मीदवार चुना है।