राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोटिंग हुई थी और अब यहां 22 राउंड पूरे होने के साथ मतगणना पूरी हो गई है। राजस्थान में कांग्रेस भले ही सत्ता नहीं बचा पाई लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार प्रोफेसर डॉ. महेंद्र राठौर को 26396 वोटों से मात दे दी है। अशोक गहलोत को कुल 96859 वोट जबकि महेंद्र राठौर को 70463 वोट मिले। अशोक गहलोत जोधपुर जिले की सरदारपुरा विधानसभा सीट से पिछले 25 सालों से विधायक हैं। इस सीट पर वह अजेय रहे हैं।
अशोक गहलोत 25 सालों से चुने जा रहे विधायक
सरदारपुरा विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। आजादी के बाद अब तक इस सीट पर कुल 12 बार चुनाव हुए हैं। इसमें से 9 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है जबकि तीन बार गैर कांग्रेसी दलों ने जीत दर्ज की है। बीजेपी को इस सीट पर दो बार जीत हासिल हुई है। 1990 और 1993 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र गहलोत ने यहां से जीत दर्ज की थी।
1998 के चुनाव में सरदारपुरा सीट से मानसिंह देवड़ा विधायक चुने गए हैं। राज्य में कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री चुना गया। इसके बाद मानसिंह देवड़ा ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और 1999 में उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में अशोक गहलोत उम्मीदवार थे और उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल की। उसके बाद से अशोक गहलोत लगातार यहां से विधायक चुने जा रहे हैं।
सरदारपुरा का जातीय समीकरण
सरदारपुरा सीट वैसे तो अनारक्षित है, लेकिन यहां पर दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी अधिक है। सरदारपुरा विधानसभा सीट पर करीब 38 हजार दलित वोटर हैं जबकि 35 हजार के करीब मुस्लिम मोटर हैं। वहीं इस सीट पर जाट वोटरों की संख्या भी करीब 20 हजार है। जबकि राजपूत और ब्राह्मण का वोट करीब 35 हजार है।
सरदारपुरा विधानसभा सीट से इस बार अशोक गहलोत छठी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वहीं उनके सामने बीजेपी ने प्रोफेसर महेंद्र राठौड़ को मैदान में उतारा है। बीएसपी ने भी सीट पर दलपत चौहान को उतारा है। सरदारपुरा विधानसभा सीट से कुल 22 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था, जिनमें से तीन के नामांकन पत्र खारिज हो गए तो वहीं चार लोगों ने वापस ले लिया। 15 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।