राजस्थान की ओसियां विधानसभा सीट पर मतगणना पूरी हो गई है। 19 राउंड तक चली मतगणना के बाद ओसियां विधानसभा सीट से बीजेपी के भैराराम चौधरी 103746 वोट हासिल करके विजयी हुए। उन्होंने 100939 वोट हासिल करने वाली कांग्रेस की नेता और विधायर दिव्या मदेरणा को 2807 वोटों के अंतर से हरा दिया। बता दें कि शुरुआती रुझानों में दिव्या ने बढ़त बनाई हुई थी। ओसियां विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है और यहां पर मदेरणा परिवार का प्रभुत्व रहा है। दिव्या मदेरणा, महिपाल मदेरणा की बेटी हैं।
कांग्रेस और मदेरणा परिवार का गढ़ है ओसियां
आजादी के बाद अब तक इस सीट पर कुल 11 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और इनमें से आठ बार कांग्रेस को जीत मिली है। तो वहीं 2003 और 2013 में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी जबकि 1990 में जनता दल के उम्मीदवार रामनारायण विश्नोई ने यहां से जीत हासिल की थी। यह सीट जाट और राजपूत बहुल मानी जाती है और परसराम मदेरणा जो दिव्या मदेरणा के दादा थे, वह जाटों के राजस्थान में सबसे प्रमुख नेता माने जाते थे।
ओसियां विधानसभा सीट जोधपुर जिले में आती है और एक ग्रामीण इलाके की सीट है। यह क्षेत्र जोधपुर ग्रामीण के अंतर्गत आता है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर 27000 से अधिक वोटों से जीत हासिल हुई थी। दिव्या मदेरणा 2018 में इस सीट से पहली बार विधायक बनीं। इसके पहले 2013 में दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा यहां से चुनाव लड़ा थीं और हार गई थीं। तो वहीं 2008 में दिव्या के पिता महिपाल मदेरणा यहां से चुने गए थे।
ओसियां विधानसभा का जातीय समीकरण
ओसियां विधानसभा सीट में करीब ढाई लाख मतदाता है। यहां पर जाट समुदाय की आबादी करीब 60 हजार है। तो वहीं पर 35 हजार यहां पर राजपूत वोटर भी है। मेघवाल और बिश्नोई समाज भी यहां पर बड़ी संख्या में है और दोनों की आबादी करीब 45 हजार है। यहां पर 35 हजार दलित वोटर भी हैं जो काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा अन्य समाज के वोटर भी ठीक-ठाक संख्या में है जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
कांग्रेस ने एक बार फिर से दिव्या मदेरणा पर भरोसा जताया है और उन्हें ओसियां विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। तो वहीं भाजपा ने भेरा राम चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। भेरा राम चौधरी 2013 में मदेरणा परिवार की बहू लीला मदेरणा को 15000 से अधिक वोटों से चुनाव हरा चुके हैं। बीजेपी एक बार फिर से यहां पर जीत की उम्मीद कर रही है तो वहीं दिव्या मदेरणा के सामने अपने गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है।