राजस्थान की नागौर विधानसभा सीट पर मतगणना पूरी हो गई है। 18 राउंड तक चली काउंटिंग में चाचा हरेंद्र मिर्धा ने अपनी भतीजी व बीजेपी उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को 13970 वोटों से मात दे दी है। नागौर विधानसभा सीट से बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को तो वहीं कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को उम्मीदवार बनाया था। इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट के मुताबिक, हरेंद्र मिर्धा कुल 85701 वोट के साथ पहले जबकि ज्योति मिर्धा 71731 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। नागौर जिले के अंतर्गत आने वाली नागौर विधानसभा सीट मिर्धा परिवार की वजह से हमेशा चर्चा में रहती है। इस सीट से कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार रिश्ते में चाचा-भतीजी लगते हैं और दोनों ही कद्दावर नेता हैं।

नागौर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। 2003 से लेकर अब तक बीजेपी ने इस सीट पर कभी हार का मुंह नहीं देखा है। 2003 में बीजेपी ने इस सीट पर गजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने जीत हासिल की। तो वहीं 2008 और 2013 में बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवार हबीबुर रहमान को उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने भी जीत हासिल की। 2018 में बीजेपी ने इस सीट से संघ के पुराने कार्यकर्ता रहे मोहन राम चौधरी को उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने भी करीब 50 फ़ीसदी वोट पाकर बड़े अंतर से यहां पर जीत हासिल की।

नागौर सीट का इतिहास

नागौर विधानसभा सीट पर आजादी के बाद अब तक कुल 11 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। चार बार यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की है तो वहीं चार बार यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है। एक बार यहां पर जनता दल उम्मीदवार, जबकि दो बार यहां से जेएनपी ने जीत हासिल की थी। इस सीट से अब तक 5 बार जाट तो 5 बार मुस्लिम समुदाय से आने वाले उम्मीदवार ने जीत हासिल की है।

नागौर का जातीय समीकरण

नागौर विधानसभा सीट को अगर जातिगत समीकरण की दृष्टि से देखा जाए तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। 2,30,000 से अधिक मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 60 हजार है। तो वहीं इसके बाद जाट वोटर यहां पर करीब 40 हजार हैं। इस सीट पर दलित, ब्राह्मण और राजपूत भी अच्छी संख्या में हैं जो की निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

मिर्धा बनाम मिर्धा की जंग

इस सीट पर मिर्धा बना मिर्धा का मुकाबला हो रहा है। कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं भाजपा ने ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है। ज्योति मिर्धा सितंबर महीने में ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई हैं। ज्योति मिर्धा यहां से कद्दावर नेता रहीं नाथूराम मिर्धा की पौत्री है। तो वहीं हरेंद्र मिर्धा, रामनिवास मिर्धा के पुत्र हैं। रामनिवास मिर्धा राजीव गांधी के काफी करीबी थे और उन्हें राजीव गांधी ने नागौर लोकसभा सीट के लिए 1984 के चुनाव में उम्मीदवार बनाया था, ताकि नाथूराम मिर्धा को यहां पर वह मात दे सके।