राजस्थान विधानसभा चुनाव में चर्चा सिर्फ कांग्रेस और भाजपा की नहीं है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी मैदान में दिखाई दे रहे हैं। वह शनिवार को जयपुर पहुंचे है कई इलाकों का दौरा भी किया। ओवैसी के राजस्थान के चुनावी मैदान में आने के बाद कांग्रेस की टेंशन बढ़ सकती हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने क्या ऐलान कर दिया?
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि उन्होंने राजस्थान राज्य विधानसभा चुनाव के लिए अब तक तीन उम्मीदवारों की घोषणा की है और कुछ उम्मीदवारों का नाम जल्द ही सामने रखा जाएगा। औवेसी ने जयपुर में मीडियाकर्मियों से कहा कि एआईएमआईएम ने पहले ही जयपुर में हवा महल, सीकर में फतेहपुर और भरतपुर में कामां से उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं।
कांग्रेस के लिए क्यों है बड़ी मुश्किल
राजस्थान में एआईएमआईएम की एंट्री सीधे तौर पर कांग्रेस को प्रभावित करने वाली है। फिलहाल एआईएमआईएम ने जिन सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है वहां मुस्लिम वोट बड़ी तादाद में हैं। साल की शुरुआत में जब राजस्थान में AIMIM के आने को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने ऐलान किया था तब वह राजस्थान में चुनावों में मुस्लिम समुदाय को “राजनीतिक शक्ति” का संदेश दे रहे थे।
सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र टोंक में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि जिसके पास राजनीतिक ताकत होती है उस ही समुदाय को सुना जाता है, जिसके पास खुद का नेता होता है। वह गहलोत सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े करते रहे हैं। मेवात इलाके में नासिर-जुनेद मर्डर मामले पर भी एआईएमआईएम चीफ ने गहलोत सरकार को घेरा था। ऐसे में प्रातिनिधित्व के सवाल पर कांग्रेस को भारी दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
एआईएमआईएम चीफ ने अपने राजस्थान दौरे के दौरान यह भी कहा था कि तेलंगाना में अल्पसंख्यकों के लिए बजट 1,728 करोड़ रुपये है, जबकि राजस्थान में यह 480 करोड़ रुपये है। ओवैसी का यह संदेश राजस्थान में गूंज सकता है क्योंकि जब राज्य में मुस्लिम नेतृत्व की बात आती है तो एक खालीपन है। कुछ प्रमुख नाम जैसे अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद और राज्य मंत्री जाहिदा खान हैं लेकिन यह समुदाय को बहुत ज़्यादा प्राभवित नहीं कर पाते हैं।