राजस्थान चुनाव में एक बार फिर रिवाज ने खुद को दोहराया है, कांग्रेस को उखाड़ फेंक बीजेपी सत्ता में आती दिख रही है। इस चुनाव में राजस्थान के योगी की भी काफी चर्चा रही, यहां तक कहा गया कि अगर बीजेपी की जीत हुई तो वे भी एक सीएम दावेदार हो सकते हैं। यहां बात हो रही है बाबा बालकनाथ की जो इस समय अपनी तिजारा सीट से बड़ी जीत दर्ज करते दिख रहे हैं। राजस्थान के चुनाव में तिजारा सीट चर्चा में इसलिए रही क्योंकि यहां पूरी तरह ध्रुवीकरण हावी दिखा और हिंदू-मुस्लिम भी खुलकर हुआ।

इन दो जिलों पर टिकी बालकनाथ की दावेदारी

अब राजस्थान के दो जिले- अलवर और भरतपुर में सबसे ज्यादा बालकनाथ का प्रभाव देखने को मिला। इन इलाकों में ज्यादातर वो सीटें हैं जहां पर मुस्लिम आबादी अच्छी संख्या है। एक तरफ अलवर से कुल 11 सीटें निकलती हैं तो वहीं भरतपुर से सात सीटें आती हैं। अभी तक के जो नतीजे सामने आए हैं, वो बताते हैं कि इन दो जिलों की कुल 18 सीटों में से बीजेपी 8 सीटों पर आगे चल रही है, वहीं कांग्रेस सात सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इसके अलावा दो सीटों पर निर्दलीय और एक सीट पर आरएलडी ने भी अपनी बढ़त बना रखी है।

बालकनाथ के आने से बीजेपी को कितना फायदा?

अब इन दोनों ही जिलों में बालकनाथ के प्रभाव को इस बात से समझा जा सकता है कि बीजेपी ने अपनी टैली पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर की है। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो अवलर की 11 सीटों में बीजेपी के खाते में सिर्फ दो गई थीं, वहीं भरतपुर में तो पार्टी का खाता भी नहीं खुला। लेकिन इस बार बाबा बालकनाथ का प्रचार पार्टी के लिए कुछ फायदा तो लेकर आया है। इस समय अलवर की अलवर शहर, तिजारा, बानसूर, बहरोड़ और कठूमर सीट पर आगे चल रही है।

इसी तरह भरतपुर की डीग कुम्हेर, वैर और नदबई सीट पर भी बीजेपी जीत के करीब पहुंच गई है। ये सभी वो इलाके हैं जहां पर पिछली बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार पार्टी को इन इलाकों में मिल रही सफलता बता रही है कि कुछ हद तक तो जमीन पर ध्रुवीकरण हुआ है। वैसे चुनावी नतीजे इस बात की तस्दीक भी करते हैं कि बालकनाथ के सांप्रदायिक बयानों ने बीजेपी के पक्ष में कुछ वोट पड़वाए हैं।

काम कर गया ध्रुवीकरण, हिंदू वोट एकमुश्त?

जब तिजारा में बालकनाथ प्रचार कर रहे थे, कई मौकों पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के साथ अपने मुकाबले को हिंदुस्तान-पाकिस्तान का बता दिया था। यहां तक कहा गया था कि जब जब एक वर्ग सौ फीसद एकतरफा वोट करता है तो दूसरे पक्ष को भी संपूर्ण गोलबंदी करनी पड़ती है। उनका इशारा साफ था कि अगर मुस्लिम एकमुश्त होकर कांग्रेस को वोट कर रहे हैं तो हिंदुओं को भी जातियों से ऊपर उठकर बीजेपी का समर्थन करना चाहिए। अब इसका असर तिजारा सीट पर तो पूरी तरह होता दिखा है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि इस चुनाव में तिजारा सीट पर जनता ने 86.11 फीसदी मतदान किया, ये अलवर जिले की किसी भी सीट पर हुई सर्वधिक वोटिंग थी।

बुलडोजर मॉडल को राजस्थान में समर्थन?

इस चुनावी ट्रेंड ने साफ बताया कि अगर मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट किया तो बीजेपी को भी हिंदुओं का पूरा वोट मिला। वैसे बीजेपी को मिल रहे समर्थन को कन्हैयालाल के हत्याकांड से भी जोड़कर देखा जा रहा है। ध्रुवीकरण करने के लिए बीजेपी ने इस इलाके में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूरा इस्तेमाल किया। तिजारा में ही एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि अगर यूपी में कन्हैया लाल जैसा कांड होता तो सभी जानते हैं कि आरोपियों का क्या हाल होता। सीएम योगी का इशारा बुलडोजर कार्रवाई पर था जो इस समय यूपी मॉडल की पहचान बन चुका है।

खुद बालकनाथ भी बुलडोजर एक्शन को लेकर बड़े बयान दे चुके हैं, उनके समर्थक ये नेरेटिव सेट करने में देर नहीं लगाते कि अगर उन्हें राजस्थान का सीएम बना दिया गया तो आरोपियों के घर पर भी ऐसे ही बुलडोजर चलेगा। अब नतीजे तो बालकनाथ ने बीजेपी को दोनों अलवर और भरतपुर में लाकर दे दिए हैं, मुख्यमंत्री का ताज सजता है या नहीं, ये फैसला बीजेपी हाईकमान करने वाली है।