राजस्थान की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंदरखाने भी काफी उठापटक चल रही है। पहली सूची में कई मंत्रियों और विधायकों का टिकट काटे जाने के बाद बगावत के सुर तेज हैं। नागौर से विधायक हबीबुर्रहमान ने अब कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए दिल्ली में डेरा डाल दिया है। सोमवार (12 नवंबर) को उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। वैसे हबीबुर्रहमान सीएम वसुंधरा राजे के आवास पर भी लामबंदी करते दिखे। राज्य के कई मंत्रियों और विधायकों ने मंगलवार को जयपुर स्थित सीएम आवास पर पहुंचकर सीएम से मुलाकात की और टिकट दिलाने के लिए पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की अपील की। इनके अलावा कई पूर्व मंत्री, विधायक, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह भी सीएम वसुंधरा के आवास के बाहर दिखी थीं।

सोमवार को भाजपा छोड़ने वाले हबीबुर्रहमान ने आरोप लगाया था कि भाजपा में मुसलमानों को टिकट नहीं देने की पॉलिसी बन गई है। उन्होंने सवाल दागा था कि जब पार्टी में मुस्लिमों को दरकिनार करने की नीति ही बन जाय तो कोई क्या करे? उन्होंने कहा था कि टिकट पाने के लिए कोई गलत रास्ता अख्तियार नहीं किया। बावजूद जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। वैसे उन्होंने कहा था कि समर्थकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद ही वो आगे की रणनीति तय करेंगे। इसके अगले ही दिन उन्होंने कांग्रेस में एंट्री के लिए दिल्ली दरबार में डेरा डाल दिया। रहमान पांच बार विधायक रह चुके हैं और 2008 के विधान सभा चुनावों से पहले वो कांग्रेस में ही थे। उस वक्त भाजपा की हार के बावजूद वो चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।

बता दें कि राजस्थान सरकार में दो ही मुस्लिम विधायक प्रभावी रहे हैं। हबीबुर्रहमान के अलावा दूसरा चेहरा यूनुस खान हैं। खान सीएम वसुंधरा के काफी करीबी माने जाते हैं और सरकार में ताकतवर मंत्री रहे हैं लेकिन उन्हें भी भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। भाजपा ने रविवार की देर रात राजस्थान के लिए 131 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी। इसमें कई मंत्रियों, विधायकों का टिकट काटा गया था। रहमान के अलावा मंत्री सुरेंद्र गोयल ने भी टिकट काटे जाने से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था। इनके अलावा बाड़मेर यूआईटी चेयरमैन प्रियंका चौधरी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें भी भाजपा ने टिकट नहीं दिया है।