उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट पिछले कई सालों से कांग्रेस की झोली में रही है। 2004 से सोनिया गांधी ने यहां से अपने विजय रथ को लगातार आगे बढ़ाया है, कांग्रेस की यूपी में उपस्थिति को कायम रखा है। अब 2024 के सियासी रण में फिर यूपी की रायबरेली की चर्चा है। यहां से कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है, बीजेपी भी वेट एंड वॉच कर रही है। सभी के मन में रायबरेली को लेकर सिर्फ एक सवाल है- प्रथा बरकरार या परिवर्तन?

अब इस सवाल के साथ हमने रायबरेली की धरती पर कदम रखा। केपरगंज, सब्जी मंडी, रायबरेली सुपर मार्केट, खोया मंडी, कैचरी रोड जैसे तमाम इलाकों में लोगों से बात की, जनता के मुद्दे समझने की कोशिश की। पहले ही एक बात बता देते हैं, रायबरेली में दो वर्ग पूरी तरह बंटे नजर आएं हैं। मुस्लिम समाज एकतरफा गांधी परिवार का समर्थन कर रहा है तो वहीं व्यापारी वर्ग भी खुलकर मोदी और बीजेपी का सपोर्ट करता दिख रहा है।

पूरी ग्राउंड रिपोर्ट यहां देखिए

एक वर्ग अगर पीएम मोदी की हर योजना की आलोचना कर रहा है, उन्हें सबसे बड़ा झूठा बता रहा है, दूसरा वर्ग उसी मोदी को देश का सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री होने का तमगा तक दे रहा है। एक वर्ग अगर कांग्रेस की रायबरेली में लहर बता रहा है, दूसरा दावे के साथ कह रहा है कि इस बार परिवर्तन होने वाला है। कुछ लोग अगर महिला सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो कुछ मोदी-योगी के दौर में सुधार की वकालत कर रहे हैं।

रायबरेली में कदम रखते ही सबसे पहले हमारा सामना यहां की पतली सड़कें, लंबा जाम और धूल से हुआ। रायबरेली वैसे तो अपने आप में एक छोटा शहर है, लेकिन यहां की व्यवस्था ऐसी रखी गई है कि कम आबादी के बावजूद भी ये इलाका काफी भीड़-भाड़ वाला लगता है। पार्किंग की सही व्यवस्था कही दिखाई नहीं पड़ती, कई जगह पर अतिक्रमण भी देखने को मिल जाता है। खैर इस ट्रैफिक जाम से निकलते हुए सबसे पहले हम रायबरेली के केपरंगज इलाके में पहुंचे।

ये इलाका चुनने का कारण ये था कि यहां पर मुस्लिम आबादी ज्यादा रहती है। यहां पर उनका वोट ही निर्णायक माना जाता है। उम्मीद के मुताबिक इस इलाके में कांग्रेस की प्रचंड लहर देखने को मिल रही है। यहां तक नहीं कहा जा सकता कि बीजेपी कोई टक्कर देने की भी स्थिति में रहेगी। अगर सिर्फ ये इलाका देखकर हम ग्राउंड रिपोर्ट बना देते तो कांग्रेस की जीत सुनिश्चि मानी जाती। इस इलाके में एक शख्स ने हमसे कहा कि मोदी ने महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ा दी है। एलपीजी का सिलेंडर 900 रुपये में आ रहा है, कह रहे थे कि सब्सिडी देंगे, लेकिन मिली नहीं है। नौकरी भी हाथ में नहीं है, रोज का 150-200 रुपये कमा रहे हैं। हम तो पूरी तरह अखिलेश यादव के साथ हैं, मोदी-योगी ने कुछ नहीं किया।

उसी गली में आगे बढ़े तो एक शख्स ने डंके की चोट पर कह दिया कि रायबरेली से तो प्रियंका गांधी जीतेंगी, पांच लाख वोटों से जीतने वाली हैं। हमने भी सवाल कर दिया कि खड़गे जी ने तो सस्पेंस बना रखा है, दूसरी तरफ से दावा हुआ कि कोई सस्पेंस नहीं, यहां से सिर्फ और सिर्फ प्रियंका लड़ेंगी (वैसे अब तो प्रियंका के लड़ने को लेकर संशय और ज्यादा बढ़ चुका है)। वहीं पर हमारी मुलाकात रायबरेली के कांग्रेस वार्ड अध्यक्ष से भी हो गई। उन्होंने तो हमे सामने से कहा आप कैमरे पर ऐलान कर दीजिए कि प्रियंका चुनाव लड़ रही हैं। यहां तक कहा गया कि अगर गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य भी लड़ेगा तो उसके लिए भी पूरी मेहनत की जाएगी।

फिर एक किनारे वाली की दुकान पर भी हम चल पड़े। सोचा वहां पर शायद मोदी को लेकर, बीजेपी को लेकर कुछ माहौल दिखेग, लेकिन उससे उलट वहां तो लोग और ज्यादा भरे पड़े थे। एक बूढ़े शख्स ने गुस्से से हमे कहा कि पांच किलो राशन देता है मोदी,10 पर जताता है, मैं आपको चाय पिलाऊं और फिर बार-बार बोलूं कि मैंने चाय पिलाई, ये अच्छा लगता है क्या। एक दूसरे शख्स ने सोनिया को डिफेंड करते हुए भी बड़ी बात बोल दी। उसने कहा कि सोनिया के चुनाव ना लड़ने से किसी को नाराजगी नहीं है, वो अब बीमार रहती हैं, इसलिए राज्यसभा चली गई हैं। कांग्रेस की लोकल लीडरशिप उनकी जगह जमीन पर काम कर रही है।

अब इस मुस्लिम इलाके से बाहर निकलकर हमने सब्जी मंडी का रुख किया जहां पर कई दूसरे व्यापारी हमे मिले। कहना पड़ेगा कुछ दूरी बाद ही माहौल बदल गया, ऐसा लगा कि कांग्रेस के बाद बीजेपी के गढ़ में पहुंच गए। एक दुकानदार से हमने बड़े विश्वास में कहा कि 300 प्लस तो पक्का है, 350 भी आ सकती हैं, मानकर चलिए कि पिछला रिकॉर्ड टूट जाएगा। जब पूछा कि क्या सोनिया गांधी ने काम नहीं किया, सामने से जवाब आया, आप बताइए, क्या कभी क्षेत्र में वे दिखाई दीं। चुनाव जीतकर वे आती तक नहीं, काम क्या करेंगी।

दूसरे व्यापारी ने भी सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पहले एक भावनात्मक रिश्ता जरूर था गांधी परिवार को लेकर, लेकिन अब वो इमोशन खत्म हो गया है, रायबरेली की जनता बीजेपी को मौका देना चाहती है। एक महिला व्यापारी भी हमारे पास आईं, हमे बात करते देखा तो खुद को बोलने से रोक ना सकीं। बड़ा बयान देते हुए कहा कि हिंदू वोटर अगर साथ आ जाए तो रायबरेली में कांग्रेस आराम से हार जाएगी। उनके मुताबिक रायबरेली का विकास सिर्फ बीजेपी कर सकती है, सोनिया ने तो बर्बाद करने का काम किया है। अयोध्या में बने राम मंदिर का क्रेडिट भी मोदी और बीजेपी को दिया जा रहा है।

कुछ व्यापारियों से बात करने के बाद हमने फिर अपनी लोकेशन बदली और रायबरेली के सबसे पुराने और बड़े सुपर मार्केट में पहुंच गए। यहां पर सिख आबादी भी काफी देखने को मिली। उम्मीद थी कि लोग खुलकर अपनी बात रखेंगे, लेकिन कहना पड़ेगा वोट गोपनीय रहे, इस बात की उनको ज्यादा चिंता थी। दोनों तरफ से बैटिंग करने का काम हुआ, बीजेपी को फाइट में बताया, कांग्रेस के लिए भी उम्मीद जता दी। कहीं से भी ये मैसेज ना चला जाए ये लोग किसका समर्थन कर रहे हैं। कुछ स्थानीय लोगों ने बाद में हमे अकेले में कहा कि कुछ ऐसे वर्ग भी मौजूद हैं, जिनकी वजह से यहां पर खुलकर बातें नहीं रखी जा सकती। हमने भी फिर ज्यादा सवाल नहीं किए और आगे बढ़ चले।

आखिर में हमने कैराची रोड का रुख किया जहां पर एक बड़ी चौपाल बैठाने का काम किया गया। एक नहीं, दो भी नहीं, पूरे 15-20 व्यापारी हमारे साथ एक ही मंच पर जुड़े। कोई सुनार था, कोई होलसेलर का काम कर रहा था, किसी की किराना दुकान थी, कोई ट्रैवल एजेंसी चला रहा था। अलग-अलग वर्ग के कई दूसरे लोग भी जुड़ गए थे। वहां पर कई मुद्दों पर बात हो गई। प्रियंका पर सबसे बड़ा हमला करते हुए एक शख्स ने कहा कि वो तो पिकनिक मनाने के लिए रायबरेली आती हैं। दूसरे शख्स ने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले किसान असल में किसान है ही नहीं, बंदूक-कट्टा लेकर आने वाले कोई और होते हैं। एक व्यापारी ने बताया कि जीएसटी आने के बाद उल्टा उनका काम आसान बन गया है, कुछ लोगों ने भ्रम फैलाने का काम किया। वहां पर सभी का एकमत दिखा परिवर्तन होने वाला है, हर कीमत पर कमल खिलने वाला है।

यानी कि जो हमने शुरुआत में कहा था, रायबरेली में काटे का मुकाबला देखने को मिलेगा, 50-50 वाली लड़ाई होगी। अगर गांधी परिवार का कोई सदस्य मैदान में उतरा तो प्रथा बरकरार की ज्यादा संभावना है, वहीं अगर कोई दूसरा उतरा तो इस बार परिवर्तन को भी नकारा नहीं जा सकता।