पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव में कई बड़े नाम तो सीधे मैदान में हैं, लेकिन कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दाव पर लगी है। इनमें पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और पंजाब कांग्रेस इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग तक शामिल हैं।

एक ओर जहां चरणजीत चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग खुद चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता अमरिंदर सिंह अपनी पत्नी परनीत कौर और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल अपनी पत्नी हरसिमरत बादल को जीताने में जोर लगाते नजर आएंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए यह चुनाव उनके कामकाज का प्रतिबंब होगा।

मान 2014 और 2019 में संगरूर से दो बार सांसद रहे हैं और भारी अंतर से चुनाव जीते थे। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद 2022 में खाली हुई इस सीट पर जब चुनाव हुए तो आप को शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान से हार का सामना करना पड़ा था। अब मान इस सीट को वापस जीतना चाहेंगे क्योंकि उनके कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर इस बार संगरूर से चुनाव लड़ रहे हैं।

जलंधर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए भी यह सम्मान की लड़ाई है। मुख्यमंत्री रहते हुए पिछले विधानसभा चुनाव में वे दो सीटों से लड़े और दोनों से हार गए थे। अब, जब कांग्रेस ने उन्हें जलंधर से मैदान में उतारा, तो फिल्लौर से मौजूदा विधायक विक्रमजीत चौधरी की बगावत देखने को मिली। चन्नी का मुकाबला आप उम्मीदवार पवन कुमार टीनू, शिअद उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी और भाजपा उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू से है।

पटियाला में दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की मौजूदा सांसद पत्नी परनीत कौर पांचवीं बार अपनी किस्मत आजमा रही हैं। वह चार बार कांग्रेस सांसद रह चुकी हैं लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था। बाद में परनीत भाजपा में शामिल हो गईं और उन्हें फिर से पटियाला से उम्मीदवार बनाया गया।

उनका मुकाबला आप के डा बलबीर सिंह, कांग्रेस के डा धर्मवीर गांधी और शिरोमणि अकाली दल के एनके शर्मा से है। पटियाला सीट पूर्व शाही परिवार और अमरिंदर सिंह का गढ़ रही है। लेकिन 2022 में पटियाला विधानसभा क्षेत्र में अमरिंदर को हार का सामना करना पड़ा था। अब यह दंपति भाजपा में है और उन्हें साबित करना होगा कि यहां उनका जनाधार अब भी बरकरार है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की मौजूदा सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल भी बठिंडा से एक बार फिर मैदान में उतरी हैं। सुखबीर बादल, जो शिअद प्रमुख भी हैं, के लिए बठिंडा सबसे महत्त्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र होगा क्योंकि शिअद राज्य में लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद वापसी करना चाहता है।

इसी तरह, पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का मुकाबला कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले मौजूदा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू से है। लुधियाना सीट पर बिट्टू की मजबूत पकड़ रही है। वड़िंग के लिए यह चुनाव महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि मुख्य विपक्ष होने के नाते कांग्रेस सत्तारूढ़ दल की सत्ता विरोधी लहर का राग अलाप रही है। साथ ही कांग्रेस प्रमुख होने के नाते वह चुनाव हारना नहीं चाहेंगे।

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के लिए भी यह अहम लड़ाई है। गुरदासपुर से मैदान में हैं और उनका मुकाबला आप के शेरी कलसी, शिरोमणि अकाली दल के डा दलजीत सिंह चीमा और भाजपा के दिनेश बब्बू से है। गुरदासपुर उनका गृह जिला है और वह जिले के डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।