लोक इंसाफ पार्टी के नेता और पंजाब के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के खिलाफ लगे बलात्कार के आरोपों से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है और पंजाब सरकार से जवाब मांगा है। दो बार के विधायक और लोक इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष सिमरजीत सिंह बैंस लुधियाना में आत्मनगर सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें यह विश्वास है कि उनके सभी विरोधियों की जमानत जब्त हो जाएगी। जिसमें पीड़ित महिला के वकील भी शामिल हैं जिन्होंने बैंस पर रेप का आरोप लगाया है।
पीड़ित महिला की प्राथमिकी के अनुसार जब उसने एक संपत्ति विवाद मामले में मदद के लिए सिमरजीत सिंह बैंस से संपर्क किया तो बैंस ने साल 2020 में उसके साथ कई बार बलात्कार किया। पीड़ित महिला के वकील हरीश राय ढांडा आत्मनगर से अकाली दल के उम्मीदवार हैं।
शुक्रवार को बैंस के खिलाफ तीखी टिप्पणी करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही महिला के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर में न्यायिक कार्यवाही और विधायक की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने विधायक के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि वह दो बार विधायक रहे हैं और उसने महिला के खिलाफ कितने मामले दर्ज किए हैं। अब वह अग्रिम जमानत चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि महिला जेल जाए।
सिमरजीत बैंस के बड़े भाई बलविंदर सिंह बैंस भी विधायक हैं। वे लुधियाना दक्षिण से फिर से चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। बलविंदर बैंस को अपनी तेजतर्रार राजनीति और बादल परिवार के साथ उनकी कड़वी प्रतिद्वंद्विता के लिए जाना जाता है। बैंस के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके खिलाफ 15 मामले दर्ज हैं। 2016 में पानी के मसले पर चर्चा के दौरान दोनों भाइयों को पंजाब विधानसभा से बाहर निकाल दिया गया था।
सिमरजीत बैंस के खिलाफ बलात्कार के मामले में पुलिस चार्जशीट में उनके दो अन्य भाइयों, करमजीत सिंह और परमजीत सिंह का भी नाम है। रेप के मामले में प्राथमिकी 10 जुलाई, 2021 को दर्ज की गई थी और इसमें बलात्कार, हमला, आपराधिक बल, यौन उत्पीड़न और साजिश का आरोप लगाया गया था।
छह महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने न तो बैंस और न ही प्राथमिकी में नामजद अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया। पिछले साल नवंबर में एक स्थानीय अदालत में चार्जशीट पेश करते हुए लुधियाना पुलिस ने कहा कि विधायक सिमरजीत बैंस को गिरफ्तार करने से उनके समर्थक उत्तेजित हो सकते हैं और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। पुलिस ने यह भी तर्क दिया कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते वे भाग नहीं सकते और न ही अन्य आरोपी भाग सकते हैं। जो उनकी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। साथ ही चार्जशीट में अदालत से समन जारी करने का आग्रह किया गया और बाद में उनके खिलाफ कई बार गैर-जमानती वारंट जारी किए गए।
अपनी जीत को लेकर बैंस के विश्वास का आधार उनकी छवि है जिसे उन्होंने कई वर्षों में बनाया है। खासतौर पर 2009 में सार्वजनिक रूप से एक सरकारी अधिकारी की पिटाई और कैमरे पर भ्रष्ट कर्मचारियों को पकड़ने के लिए सरकारी कार्यालयों पर छापे ने उन्हें लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बनाया है। हालांकि इसको लेकर उनके खिलाफ कई मामले हैं जिसमें ब्लैकमेल करने का आरोप भी शामिल है।
बैंस कहते हैं कि बाकी दल हमसे डरते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि बैंस भाइयों को आम लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने से कोई नहीं रोक सकता। हम भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और अगर कोई रिश्वत लेता है, तो हम उसे किसी भी कीमत पर करेंगे। हम वो राजनेता हैं जो लोगों की सेवा करना चाहते हैं। बैंस कहते हैं कि उन्होंने केबल, भूमि माफिया और कृषि कानूनों जैसे मुद्दों पर आवाज उठाई, इसलिए मामला दर्ज किया गया।
सबसे पहले बलविंदर बैंस ने राजनीति की शुरुआत की और शिरोमणि अकाली दल(अमृतसर) में शामिल हुए। इसके बाद 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पार्षद का चुनाव जीता। इसके बाद बैंस 2002 में एक स्वतंत्र पार्षद के रूप में चुने गए और 2004 में शिअद (बादल) में शामिल हो गए।
लेकिन 2012 के पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले दोनों भाइयों को टिकट नहीं मिलने पर दोनों बैंस भाइयों ने शिरोमणि अकाली दल छोड़ दिया। दोनों ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और अपने निर्वाचन क्षेत्रों आत्म नगर और लुधियाना दक्षिण में अपना दबदबा कायम किया।
2014 के लोकसभा चुनावों में बैंस ने लुधियाना से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन चौथे स्थान पर रहे। 2017 के पंजाब चुनावों से पहले उन्होंने अपनी खुद की लोक इंसाफ पार्टी बनाई और आप के साथ गठबंधन किया। उन्होंने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा और लोक इंसाफ पार्टी ने उन दो सीटों पर जीत हासिल की जहां दोनों भाई खड़े थे।
हालांकि अरविंद केजरीवाल द्वारा अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से माफी मांगने के तुरंत बाद बैंस भाई गठबंधन से बाहर हो गए। 2019 में बैंस ने लुधियाना लोकसभा से चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहे। लोक इंसाफ पार्टी इस बार 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
लुधियाना पश्चिम से एक बार विधायक रहे और इस बार के चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी एडवोकेट ढांडा का कहना है कि बैंस को खुली छूट दी गई है। उनके आत्मविश्वास को देखें कि उनके खिलाफ कई गैर-जमानती वारंटों के बावजूद उन्होंने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है। न्याय में देरी हो सकती है लेकिन इसे रोका नहीं जा सकता है। हालांकि बैंस का कहना है कि वकील मैदान में है इससे यह साफ़ है कि बलात्कार का आरोप राजनीति से प्रेरित है।