पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में आम आदमी पार्टी ‘आप’ ने 111 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसके कुल 20 उम्मीदवार जीते थे। इनमें से छह सीटों पर उसकी तत्कालीन सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी- के उम्मीदवार लड़े थे। उसके 2 उम्मीदवार जीते थे। हालांकि, लोइंपा ने मार्च, 2018 में ‘आप’ से तब संबंध विच्छेद कर लिया था, जब ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांग ली थी। पांच साल के दौरान ‘आप’ के विधायक कांग्रेस का रुख करते रहे हैं और 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व उसके खाते में अब केवल 11 विधायक ही बचे हैं। और इनमें से भी 10 ही इस बार चुनाव लड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि ‘आप’ के 20 निर्वाचित विधायकों में से 19 मालवा से थे जबकि दोआबा से केवल एक। इन 20 में से भी उसके आठ विधायक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर विजयी रहे थे। उसके यह बचे-खुचे 11 विधायक पंजाब में भी अब दिल्ली माडल को लागू किए जाने की ज्यादा बात कर रहे हैं।

तलवंडी साबो से आप की उम्मीदवार बलविंदर कौर फिर चुनाव लड़ रही हैं। वर्ष 2015 में वे कालेज लेक्चरर की नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरीं थीं। वहां से कांग्रेस के मोहिंदर सिंह सिद्धू चुनाव जीते थे लेकिन 2015 में उनके शिअद में जाने से वहां उपचुनाव हुआ था। इस उपचुनाव में बलविंदर कौर की जमानत तक जब्त हो गई थी लेकिन 2017 के पंजाब विस चुनाव में उन्होंने सिद्धू को 20 हजार मतों से हरा दिया था। हलकावासी उनसे खासे नाराज हैं क्योंकि अब जब इलाके में चुनाव प्रचार करना है तो वह एक बार फिर यहां आ गईं। उनका मुकाबला शिअद के जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू और कांग्रेस के खुशबाज जटाना से है।

जिला फरीदकोट में हलका कोटकपूरा से विधायक कुलतार सिंह संधवां हैं। विकास के मुद्दे पर उनका कहना है, विपक्ष में होने की वजह से हमें सरकार पर दबाव बनाकर रखना पड़ता है और विधानसभा में सबसे ज्यादा सवाल भी मैंने ही पूछे। कई सड़कें बनवाईं। इस बार हम यकीनन पंजाब में अपनी सरकार बनाने जा रहे हैं। ऐसे में हम सबसे पहला काम फरीदकोट मेडिकल कालेज के हालात सुधारने, जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने, मोहल्ला क्लीनिक खुलवाने और हलके में उप सचिवालय खुलवाने का करना है।

हरपाल सिंह चीमा दरअसल, पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और जिला संगरूर में हलका दिड़बा से विधायक भी। चीमा भी फिर लड़ रहे हैं। चीमा का कहना है, जब से हमारी पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है, तब से हमें जनता का बेहतर समर्थन मिल रहा है। अमन अरोड़ा भी ‘आप’ के सुनाम से वर्तमान विधायक हैं और वे फिर लड़ रहे हैं। पुराने कांग्रेसी अमन अरोड़ा 2016 में ‘आप’ के हुए थे जबकि 2007 और 2012 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर सुनाम से ही विफल चुनाव लड़ा था। उनके पिता भगवान दास हालांकि सुनाम से ही दो बार कांग्रेस विधायक रहे और मंत्री भी। अमन का इस बार मुकाबला कांग्रेस के जसविंदर सिंह धीमान से है।

आरक्षित सीट महल कलां से एक बार फिर कुलवंत सिंह पंडोरी मैदान में हैं। इस ग्रामीण इलके में भगवंत मान कई चुनावी रैलियां कर चुके हैं क्योंकि यह इलाका मुख्यमंत्री चन्नी के हलका भदौड़ से सटा है। मान यहां अपनी रैलियों में दिल्ली की ही तर्ज पर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर सुधारने की वकालत करते रहे हैं।

बुढलाडा आरक्षित सीट पर विधायक प्रिंसिपल बुध राम चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला शिअद से सर्जन डा. निशान सिंह और कांग्रेस की रमिंदर कौर मियां से है। बरेटा से आढ़ती जतिंदर कुमार बंसल का कहना है कि बुध राम ने यहां इलाके में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया। न ही वह इलाके के लिए कोई बड़ी परियोजना ही ला पाए। गढ़शंकर से विधायक जय किशन रोड़ी 2017 में दोआबा से जीतने वाले एकमात्र ‘आप’ विधायक थे जबकि जिला मोगा में निहालसिंह वाला की आरक्षित सीट से मनजीत सिंह बिलासपुर जीते थे।

यह दोनों भी इस बार ‘एक मौका आप नूं’ के ही सहारे हैं क्योंकि दोनों पंजाब में भी दिल्ली माडल लागू करने की बात करते हैं, जबकि इनके पास इलाके में अपने बूते काम करने का कोई अनुभव ही नहीं। आरक्षित सीट जगरांव से सरवजीत कौर मणुके चुनाव जीतीं थीं। हालांकि, वे हलके में अधिक सक्रिय नहीं रहतीं लेकिन फिर भी उन्हें सदन के बाहर आप के धरनों-प्रदर्शनों में भाग लेते देखा गया। कांग्रेस प्रत्याशी जगतार सिंह जग्गा हिस्सोवाल के मैदान में आ जाने से हालात बदल गए।

‘आप’ के अन्य विधायकों में सुखपाल सिंह खैहरा पहले कांग्रेस विधायक थे जो भुलत्थ से 2017 में ‘आप’ के टिकट पर विस चुनाव जीते थे। बाद में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में पार्टी से भी निकाल बाहर किया। वे 2021 में कांग्रेस में लौट आए थे और अब वे भुलत्थ से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

कंवर संधू खरड़ से चुनाव जीते थे, लेकिन उन्हें भी 2018 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में निकाल बाहर कर दिया गया था। पहले उन्होंने भविष्य में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था। इस हलके से अब पंजाबी कलाकार अनमोल गगन मान विस चुनाव मैदान में हैं। जिला लुधियाना के हलका दाखा से हरविंदर सिंह फूलका निर्वाचित हुए थे लेकिन बेअदबी कांडों पर जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की जांच रिपोर्ट के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई कर पाने में नाकाम पंजाब सरकार की वजह से अक्तूबर, 2018 मं इस्तीफा दे दिया था जो अगस्त, 2019 में मंजूर कर लिया गया था। फिर दाखा उपचुनाव में शिअद के मनप्रीत सिंही अयाली जीते थे। आरक्षित सीट रायकोट से जगतार सिंह जग्गा हिस्सोवाल ‘आप’ के टिकट पर जीते थे लेकिन वे नवंबर, 2021 को कांग्रेस में चले गए और अब हलका जगरांव से लड़ रहे हैं।

रुपिंदर कौर रूबी बठिंडा ग्रामीण हलके से शिअद के अमित रतन कोटफत्ता को हराकर चुनाव जीती थीं। बाद में वे भी नवंबर में कांग्रेस में चली गईं और अब उसके ही टिकट पर मुक्तसर में हलका मलोट से उम्मीदवार हैं। नजर सिंह मनशहिया मानसा से ‘आप’ के विधायक थे लेकिन अप्रैल, 2019 में जब संसदीय चुनाव का प्रचार चल रहा था तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। टिकट तो कांग्रेस ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला को दिया है जिसके बाद मनशहिया टूट गए। हलका भदौड़ से आप की टिकट पर चुनाव जीतने वाले पीरामल सिंह धौला हलके में अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन्होंने जून, 2021 में कांग्रेस का हाथ थाम लिया था जहां इस बार मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस के बतौर दूसरी सीट पर उम्मीदवार बनाए गए हैं, जहां धौला ही अब उनके लिए प्रचार कर रहे हैं।