2011 की जनगणना के हिसाब से पंजाब में मुस्लिमों की कुल आबादी करीब 6 लाख है। यहां की इकलौती मुस्लिम आबदी बहुल सीट है मलेरकोटला, जहां पर करीब 95000 मुस्लिम रहते हैं। पंजाब की राजनीति में सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर एक ही नेता का नाम आता है और वो हैं रजिया सुल्‍तान। रिटायर्ड डीजीपी मोहम्‍मद मुस्‍तफा इनके पति हैं, जो कि मूलरूप से यूपी के रहने वाले हैं। मलेरकोटला इकलौती सीट है, जहां से मुस्लिम प्रतिनिधि चुनकर पंजाब विधानसभा में बैठता है।

कुछ दिनों पहले में लुधियाना की जामा मस्जिद पर एक मुस्लिम पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में अलग-अलग संगठनों ने अपनी-अपनी मांगों को उठाया। चूंकि इस बार लड़ाई कांटे की है, ऐसे में एक-एक वोट महत्‍वपूर्ण हो जाता है। यही कारण है कि पूरे राज्‍य में 2 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम वोट को भी राजनीतिक दल नहीं छोड़ना चाहते हैं।

मुस्लिम पंचायत में कम्‍युनिटी के अलग-अलग लोगों ने अपनी बात रखी। इनमें ज्‍यादातर ने यही कहा कि मुस्लिम समुदाय के बारे में नेताओं के भाषणों में क्‍यों कोई बात नहीं कही जाती है। क्‍यों राजनीतिक दल मुस्लिमों के लिए बस कब्रिस्‍तान तक ही बात सीमित रखते हैं। कुल मिलाकर पंचायत में मुस्लिमों का यह मानना रहा कि राजनीतिक दलों ने उनकी उपेक्षा की है। इतने साल हो गए लेकिन सिर्फ एक मुस्लिम प्रतिनिधि पंजाब विधानसभा में है।

मुस्लिम पंचायत का आयोजन करने वाले मजलिस-ए-एहरार इस्‍लाम हिंद पार्टी के अध्‍यक्ष शाही इमाम मौलाना उस्‍मान लुधियानवी ने कहा कि करीब 24 विधानसभा सीटों में मुस्लिम वोटर्स की संख्‍या 10 हजार से ज्‍यादा है। इस बार करीब पांच राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला है, ऐसे में वोट बैंक के तौर पर पॉलिटिकल पार्टी हमें नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। मुस्लिम फ्रंट पंजाब के अध्‍यक्ष हंस राज मोफर ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों को 1999 से उठाते आ रहे हैं, लेकिन केवल कब्रिस्‍तान की बात हो रही है और यह भी केवल बातों तक सीमित है। अधिकतर कब्रिस्‍तानों में दीवार तक नहीं है, इस कारण से अतिक्रमण भी बढ़ रहा है।

हंस राज मोफर कहते हैं कि वक्‍फ बोर्ड केवल एडमिनिस्‍ट्रेशन बोर्ड है। इसमें पंजाब के मुस्लिम नेताओं को बेहद स्‍थान मिला है। खासतौर से ऐसे नेता जो कि मूलरूप से पंजाब के हैं। केवल कुछ ही मुस्लिम परिवार इसमें एक्टिव हैं और इनमें ज्‍यादातर वो हैं जो यूपी से माइग्रेट होकर यहां आए हैं।

पंचायत में मौलाना लुधियानवी ने मलेरकोटला के अलावा कुछ सीटों को गिनाया जहां पर मुस्लिम आबादी बड़ी संख्‍या में है। अमरगढ़, सुजानपुर, लुधियाना नॉर्थ, ईस्‍ट और साउथ, अमलोह और मोहाली। मुस्लिम समुदाय के लोगों को कम से कम पांच से छह सीटों पर टिकट दिया जाना चाहिए, तभी हम मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को विधानसभा में उठा पाएंगे।

शाही इमाम के मीडिया सेक्रेटरी मोहम्‍मद मुस्‍तकीन ने कहा कि मुस्लिम पंजाब के कोने-कोने में रहते हैं, लेकिन राजनीतिक दल ऐसे प्रोजेक्‍ट करते हैं जैसे सिर्फ मलेरकोटला में ही मुस्लिम आबादी बसती है। सिर्फ एक मुस्लिम विधायक हमारे समुदाय के रिप्रेजेंट करने के लिए काफी नहीं है।

फतेहगढ़ साहिब जिले में कांग्रेस के माइनॉरिटी सेल के अध्‍यक्ष सैफ अहमद कहते हैं, “मुझे अपने समुदाय के बारे में सोचना पड़ेगा”। उन्‍होंने राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा कि वे मुस्लिम समुदाय की बातों पर ध्‍यान दें।

मुस्लिम पंचायत में जो मांगें उठाई गईं, उनके मुताबिक, हर जिले में इस्‍लामिया हाई स्‍कूल होना चाहिए। वक्‍फ बोर्ड की ओर से इमामों को जो सैलरी दी जाती है, उसे बढ़ाया जाए। कब्रिस्‍तान के लिए जमीन दी जाए साथ ही बाउंड्री वॉल भी बनवाई जाए, हर जिले में एक मुस्लिम कम्‍युनिटी सेंटर होना चाहिए।