अनीषा दत्ता

पंजाब विधानसभा चुनाव की तारीख में बदलाव किया गया है। बता दें कि पहले 14 फरवरी को पंजाब में विधानसभाव चुनाव होने थे। लेकिन तमाम राजनीतिक दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने इसे 20 फरवरी कर दिया है। दरअसल भाजपा, कांग्रेस समेत कई दलों ने अनुरोध किया था कि 16 फरवरी को गुरु रविदास जी जयंती होने के चलते बड़ी संख्या में पंजाब से लोग वाराणसी पहुंचेंगे। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग मतदान से वंचित रह जाएंगे।

इस अनुरोध पर सोमवार को चुनाव आयोग ने तारीखों में बदलाव किया है। गौरतलब है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 153 के तहत चुनाव आयोग चुनाव पूरा करने के लिए “समय बढ़ा सकता है”। लेकिन ऐसा विस्तार लोकसभा या विधानसभा के भंग होने की तारीख से आगे नहीं जाना चाहिए।

पहले भी टाले गये हैं चुनाव: 1991 में चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद संसदीय चुनावों को तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था। वहीं मार्च 2020 में कोरोना महामारी के चलते 18 राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। इसके अलावा मई 2021 में भी आयोग ने महामारी के कारण कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपचुनावों को भी टाल दिया था।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने क्या कहा: चुनाव की तारीखों में बदलाव को लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने 3 जनवरी को द इंडियन एक्सप्रेस में लिखते हुए बताया था कि संसद द्वारा घोषित आपातकाल को छोड़कर सदन का कार्यकाल बढ़ाया नहीं जा सकता है। जिसे संविधान केवल दो स्थितियों तक सीमित रखता है। पहला युद्ध और दूसरा कानून व्यवस्था के टूटने पर।

कुरैशी के मुताबिक “यह अजीब है कि लोग एक ही सांस में रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और चुनाव स्थगित करने की बात कर रहे हैं। रैलियों पर प्रतिबंध लगाना चुनाव आयोग का एक कार्यकारी आदेश है। चुनाव की घोषणा के बाद सबसे आसान काम है। जबकि चुनाव स्थगित करना उनके हाथ में बिल्कुल नहीं है, और यह संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन होगा जो प्रत्येक विधानसभा को एक निश्चित कार्यकाल देता है। जैसे ही कार्यकाल समाप्त होता है, सदन अपने आप भंग हो जाता है।”

उन्होंने लिखा है, “संसद द्वारा घोषित आपातकाल को छोड़कर सदन का कार्यकाल बढ़ाया नहीं जा सकता है। हमारे चुनावी इतिहास के सात दशकों में यह केवल तीन बार हुआ है। जिसमें असम, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद की स्थिति में देखा गया है।