PM Narendra Modi Swearing-in Ceremony: वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में बनी थी तब भाजपा के दो शीर्ष नेताओं, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को किनारे कर मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था। उन्हें न तो सरकार में शामिल किया गया और न ही कोई अहम पद दिया गया। अब जब 2019 में फिर से नरेंद्र मोदी दूसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं तब करीब दर्जनभर नेताओं का राजनीतिक संन्यास होने की चर्चा है। इनमें से कई नेताओं ने तो स्वास्थ्य कारणों से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, जबकि कई नेताओं की उम्र को देखते हुए पार्टी ने उन्हें चुनावी टिकट से वंचित कर दिया।
मोदी सरकार-2 में संन्यास की ओर बढ़ने वालों में सबसे बड़ा नाम अरुण जेटली का है, जिन्होंने खुद पीएम मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने का अनुरोध किया है। दूसरे चेहरे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हो सकती हैं क्योंकि उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। इसी तरह उमा भारती ने भी चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी। इन वजहों से इन दोनों नेताओं ने भी चुनाव नहीं लड़ा था। उधर, 75 पार करने वालों में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी खुद ही चुनाव नहीं लड़कर संन्यास लेने का ऐलान किया था। उन्होंने पार्टी से पूछा भी था कि उनकी पारंपरिक सीट इंदौर से उम्मीदवार उतारने में देरी क्यों हो रही है?
इनके अलावा कई ऐसे बुजुर्ग नेता हैं जिन्होंने भाजपा को बनाने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उन्हें भी मोदी सरकार-2 में राजनीतिक संन्यास पर भेज दिया गया है। आडवाणी, जोशी के अलावा पार्टी ने 2019 के चुनावों में शांता कुमार, हुकुमदेव नारायण यादव, करिया मुंडा, कलराज मिश्र, बीसी खंडूरी, भगत सिंह कोश्यारी को भी टिकट नहीं दिया। लिहाजा ये सभी नेता अब राजनीतिक संन्यास की डगर पर हैं।