लोकसभा चुनाव नजदीक है और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए 370 सीटों के टारगेट को पूरा करने के लिए BJP एक-एक सीट पर अपनी ताकत झोंक रही है और इस फेरहिस्त में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर है क्योंकि पार्टी का 2019 का प्रदर्शन 2014 के मुकाबले कुछ कम था। ऐसे में पार्टी के उस गैप को कवर करने की कोशिश में है। इस बीच आज पीएम मोदी ने संभल में कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया है।

कल्कि धाम का शिलान्यास करने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां लोगों को संबोधित भी किया। पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन चुनाव नजदीक होने के चलते ज्यादा अहम माना जा रहा है। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। बता दें कि कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पीएम मोदी से मिलकर उन्हें शिलान्यास करने के लिए आमंत्रित किया था और उनके आमंत्रण को मोदी ने तुरंत ही स्वीकार भी कर लिया था। इसकी वजह कल्कि धाम की लोकेशन है जो कि चुनावी दौर में बीजेपी के लिए भी अहम है।

दरअसल, कल्कि धाम संभल में हैं जो कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र का हिस्सा है। यहां हिंदू वोटरों की संख्या जहां 40 प्रतिशत है तो वहीं 55 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। मिशन 400 को सफल बनाने के लिए बीजेपी किसी भी कीमत पर इस सीट को जीतना चाहती है। बीजेपी ने पहली और आखिरी बार 2014 में संभल लोकसभा सीट जीती थी। इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी सत्यपाल सैनी जीतकर संसद पहुंचे थे लेकिन 2019 में यह सीट एक बार फिर सपा का कब्जा हो गया था। यह सीट शफीकुर्रहमान बर्क ने जीत ली थी।

इतिहास दोहराना चाहती है बीजेपी

ऐसे में बीजेपी यहां 2014 का वो इतिहास दोहराना चाहती है। हालांकि 2019 में सपा बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जबकि 2014 की तरह ही इस बार भी अभी तक सपा बसपा में गठबंधन नहीं हुआ है और कांग्रेस-सपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर संशय बरकरार है। ऐसे में अगर गठबंधन नहीं होता है तो बीजेपी के लिए इस सीट पर मुकाबला आसान हो सकता है। अहम बात यह है कि बीजेपी की निगाह केवल संभल सीट पर नहीं बल्कि पूरे मुरादाबाद मंडल पर है क्योंकि उसका रिकॉर्ड इस क्षेत्र में दोनों ही लोकसभा चुनावों में कुछ खास नहीं रहा है।

पूरे मुरादाबाद मंडल पर नजर?

मुरादाबाद मंडल में 6 सीटें आती हैं जो कि मुरादाबाद, बिजनौर, नगीना, अमरोहा संभल और रामपुर हैं। यह पूरा क्षेत्र ही मुस्लिम बहुल माना जाता है लेकिन खास बात यह है कि बीजेपी के लिए यह पूरी बेल्ट ही 2019 में सूखी रही थी। गठबंधन में रहते हुए सपा बसपा ने 6 की 6 सीटें जीती थीं, इसमें तीन बसपा और तीन सपा के पास रहीं थी। हालांकि रामपुर की सीट उपचुनाव में बीजेपी जीत गई थी। बात 2014 के लोकसभा चुनावों की करें तो बीजेपी उस दौरान सारी सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी।

ऐसे में बीजेपी की प्लानिंग इस मुरादाबाद मंडल में 2014 का मॉडल अपनाने की है। ध्यान देने वाली बात यह है कि उस दौरान भी दो प्रमुख पार्टियों को गठबंधन नहीं था और बीजेपी की कमान अमित शाह के हाथ में थी। बीजेपी की रणनीति यहां हिंदू वोटबैंक को एक जुट करने की है क्योंकि अगर विपक्षी दलों का गठबंधन नहीं बन पाता है तो मुस्लिम वोट बैंक सपा बसपा और कांग्रेस में बंट भी सकता है जो कि 2014 की तरह बीजेपी के लिए पॉजिटिव हो सकता है।