Lok Sabha Election 2019: राजस्थान में तीन केंद्रीय मंत्रियों पीपी चौधरी, अर्जन मेघवाल और सीआर चौधरी का अपने संसदीय क्षेत्र में ही जबरदस्त विरोध होने से भाजपा नेतृत्व सकते में आ गया है। इन तीनों का विरोध इलाके के वरिष्ठ भाजपा नेता कर रहे हैं। विरोध के कारण पार्टी दो केंद्रीय मंत्रियों अर्जुन मेघवाल और सीआर चौधरी के मौजूदा चुनाव क्षेत्र बदलने पर भी विचार कर रही है। प्रदेश से पांच लोेकसभा सांसद केंद्र की मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं। राज्य में लोकसभा चुनाव का आगाज होते ही भाजपा के भीतर कलह भी शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा विरोध बीकानेर के सांसद केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल का हो रहा है। मेघवाल बीकानेर से दो बार सांसद बने हैं। इस बार फिर से टिकट देने का सबसे मुखर विरोध इलाके के दिग्गज नेता और कोलायत से छह बार विधायक रहे पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी कर रहे हैं। भाटी का कहना है कि मेघवाल जातिवाद फैलाते हैं और उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम किया।
विधानसभा चुनाव में भाटी की पुत्रवधु पूनम कंवर कोलायत से भाजपा उम्मीदवार थीं और हार गई थीं। भाटी ने सीधा आरोप लगाया कि उनकी पुत्रवधु की हार में ही नहीं अन्य क्षेत्रों में पराजय के लिए भी मेघवाल की गतिविधियां जिम्मेदार थीं। भाटी का कहना है कि मेघवाल पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं और उनकी वजह से भाजपा को विधानसभा ही नहीं पंचायतराज चुनावों में भी बड़ा नुकसान हुआ था। भाटी का कहना है उन्होंने इस बारे में प्रदेश के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर को भी शिकायत की थी। इन दोनों नेताओं ने कहा कि मेघवाल की समझाइश की जाएगी।
भाटी का कहना है कि उन्हें जब लगा कि बड़े नेता फिर से अर्जुन मेघवाल को बीकानेर से टिकट देने की तैयारी में हैं तो उन्होंने अब भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी का कहना है कि भाटी का इस्तीफा मिला है पर उस पर अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है। भाटी वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी के अंदर सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। टिकट का फैसला केंद्रीय चुनाव समिति करेगी।
केंद्रीय राज्य मंत्री और पाली के सांसद पीपी चौधरी का भी अपने क्षेत्र में भारी विरोध हो रहा है। पीपी चौधरी के खिलाफ राज्यसभा सांसद रामनारायण डूडी समेत कई विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने मोर्चा खोल दिया है। सांसद डूडी ने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिख कर चौधरी को टिकट देने का विरोध किया है। डूडी ने शाह को लिखा है कि पीपी चौधरी पाली से इस बार किसी हालत में नहीं जीत सकते हैं। इसलिए उन्हें फिर से उम्मीदवार नहीं बनाया जाए। उनका कहना है कि पीपी चौधरी ने पूरे पांच साल तक स्थानीय विधायकों और जनप्रतिनिधियों की घोर अनदेखी की। इसके साथ ही सांसद कोष के काम भाजपा कार्यकर्ताओं के बजाय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के कहने पर किए।
डूडी के पत्र पर पाली के विधायक ज्ञान पारख, बाली विधायक और पूर्व मंत्री पुष्पेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री कमसा मेघवाल, मदन राठौड़, पूर्व विधायक भैरा राम, केसाराम और संजना आंगरी के साथ ही पाली जिला प्रमुख ने भी दस्तखत कर पीपी चौधरी की फिर से उम्मीदवारी का विरोध किया है। केंद्रीय राज्य मंत्री और नागौर के सांसद सीआर चौधरी का भी अपने इलाके में बड़ा विरोध हो रहा है। नागौर जिले में आरएसएस से जुड़े भाजपा नेता भी सीआर चौधरी के विरोध में खड़े हो गये हैं। वसुंधरा सरकार में ताकतवर मंत्री रहे और नागौर जिले के ही पूर्व विधायक युनूस खान चौधरी के विरोध में मैदान में आ डटे हैं।
खान का कहना है कि पार्टी को नागौर में बदलाव करना चाहिए। पार्टी उन्हें चुनाव लड़ने का मौका दें। खान ने प्रदेश नेतृत्व से टिकट की भी दावेदारी की है। खान को टिकट दिलाने की पैरवी अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी कर रही हैं। प्रदेश में नागौर जाट बहुल संसदीय क्षेत्र है। इस इलाके में विधानसभा चुनाव में नए क्षेत्रीय दल रालोपा का खासा दबदबा कायम हो गया था। रालोपा के संयोजक विधायक हनुमान बेनीवाल इस बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके कारण अब केंद्रीय राज्य मंत्री सीआर चौधरी को भी मुश्किल नजर आ रही है। इसलिए उन्होंने नागौर के बजाय अजमेर सीट से भी अपनी दावेदारी जताई है। चौधरी का कहना है कि टिकट पार्टी देगी। उन्होंने कहा कि नागौर में उनका कोई विरोध नहीं है। चुनाव के समय कई लोग टिकट की दावेदारी करते हैं। इसे उनके विरोध से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। अजमेर भी उनका कार्यक्षेत्र रहा है।
पार्टी अजमेर से टिकट देगी तो वहां से भी चुनाव लड़ सकता हूं।