दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है। वह कुछ सालों से सुर्खियों से दूर थीं, पर अजय माकन के इस्तीफे के बाद राहुल ने एक बार फिर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने की होगी। 2014 के चुनाव में भाजपा ने दिल्ली में पूरी तरह भगवा झंडा गाड़ दिया था।
शीला का जन्म तो पंजाब के कपूरथला में हुआ, लेकिन उनकी शादी उत्तर प्रदेश में हुई। वह भी राज्य के एक बड़े राजनीतिक घराने में। उनके ससुर उमा शंकर दीक्षित थे। वह उन्नाव के रहने वाले थे। वह बंगाल के गवर्नर थे। उनके बेटे विनोद दीक्षित से शीला की शादी हुई थी। पति आईएएस अधिकारी थे, जबकि शीला धीरे-धीरे समाजसेवा में आ गईं। विनोद जब आगरा के डीएम थे, तब शीला समाजसेवा में काफी सक्रिय हो गई थीं। बाद में वह राजनीति में आ गईं।
राजनीति में वह आना नहीं चाहती थीं। ”सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ” किताब में उन्होंने इस बारे में जिक्र किया है। यह उनकी आत्मकथा है। इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया था, यह आत्मकथा उस लड़की के बारे में है कि कैसे ब्रांड न्यू लुटियन दिल्ली में पेड़ों के किनारे साइकिलिंग पसंद करने वाली लड़की ने पांच दशक बाद मुख्यमंत्री के तौर पर न सिर्फ दिल्ली की कमान संभाली, बल्कि उसे बदला भी। वो भी 1998 से 2013 तक लगातार तीन कार्यकालों में।” किताब में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि शीला कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं।
1984-89 के बीच शीला दीक्षित कन्नौज से सांसद भी रहींं। उसके बाद भी उन्होंने कोशिश की, लेकिन लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा। बतौर दिल्ली की मुख्यमंत्री उन्होंने 15 साल की लंबी पारी खेली। उनके कार्यकाल को विकास कार्यों और घोटालों के लिए याद किया जाता है।