पांच सूबों में मिली हार के बाद कांग्रेस में घमासान मचा है। जी-23 के नेताओं की बैठक के बाद आज तय हुआ कि रविवार शाम 4 बजे कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में हार पर मंथन होगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि बागी गुट की मांग पर पार्टी के संगठनात्मक चुनाव समय से पहले हो सकते हैं। उधर वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले रविवार सुबह 10 बजे सोनिया गांधी पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी ग्रुप से विचार विमर्श करेंगी।
पांच राज्यों में मिली हार के बाद कांग्रेस के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। यूपी में उसे दो सीटें नसीब हुई है। वहीं गोवा में 11 सीटें मिली हैं। मणिपुर में कांग्रेस को 5 सीटें मिली हैं तो उत्तराखंड में बीजेपी का मजबूत विकल्प होने के बाद भी वो केवल 19 सीटों पर जीत सकी। सबसे ज्यादा झटका पंजाब में लगा। तमाम राजनीतिक प्रयोगों के बावजूद कांग्रेस 18 सीटों पर सिमट गई।
कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ पहले से मुखर रहे जी 23 के नेताओं के तेवर हार के बाद से तीखे होने लगे हैं। शुक्रवार शाम दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई बैठक में कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी सहित कुछ अन्य नेता भी शामिल हुए। माना जा रहा था कि उनकी बैठक रंग लाएगी और हुआ भी वही। आनन फानन में बुलाई गई वर्किंग कमेटी की बैठक से यही झलक रहा है कि गांधी परिवार जी 23 नेताओं के दबाव में है। बैठक में हंगामा होने के पूरे आसार हैं।
जी 23 के नेताओं ने पहले ही अपने मन का हाल सामने रख दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि उन्हें ऐसे शर्मनाक प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। कांग्रेसी दिग्गज गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनका दिल खून के आंसू रो रहा है। वहीं कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि वो पूरी तरह से ठगा हुआ और फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि रविवार की बैठक में बागी नेता पार्टी में सुधारों की मांग उठाएंगे। इन नेताओं ने चुनाव में हार पर चर्चा करने के लिए केवल कोर सदस्यों के साथ एक बंद कमरे में बैठक की मांग की है। अधिकांश जी-23 सदस्यों ने चुनावी हार पर सार्वजनिक रूप से निराशा व्यक्त की है, हालांकि कांग्रेस ने कहा है कि वो चुनाव हारी है, लेकिन दिल नहीं।
उधर, कांग्रेस के कर्नाटक अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि हार बेशक शर्मिंदा करने वाली है। लेकिन फिलहाल पार्टी के पास गांधी परिवार का कोई विकल्प नहीं है। ऐसा कोई नेता नहीं है जिसे जनता स्वीकार कर फिर से कांग्रेस को सत्ता के गलियारों तक पहुंचा सके। जी 23 के नेता दुख जता रहे हैं पर क्या वो फिर से पार्टी को खड़ा करने का बूता रखते हैं?