हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए चुनाव कांग्रेस के लिए राहत लेकर आए हैं। भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले ये राज्य अब कांग्रेस की झोली में जा चुके हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ को छोड़कर मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की राह उतनी आसान नहीं रही, जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। मध्य प्रदेश में तो कड़ा मुकाबला देखने को मिला और एक-एक सीट के लिए लड़ाई लड़ी गई। आखिरकार कांग्रेस, भाजपा पर भारी पड़ी और 114 सीटें जीतकर मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि वोटों की गिनती के दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता रात भर जागकर मतगणना पर लगातार नजर बनाए रहे।
मध्य प्रदेश में वोटों की गिनती 11 दिसंबर को देर रात तक चली। इस दौरान कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि वरिष्ठ नेता पूरी रात जागकर वोटों की गिनती पर पैनी नजर रखे रहे। बताया जा रहा है कि इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने उम्मीदवारों, उनके एजेंटों, चुनाव अधिकारियों आदि को 3000 से ज्यादा कॉल्स कीं। बहरहाल कांग्रेसी नेताओं की इस मेहनत का फल मिला और कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता की दावेदार बनी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, भोपाल स्थित पार्टी के वॉर रुम में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा आदि वरिष्ठ नेता मतगणना पर लगातार नजर बनाए हुए थे। इतना ही नहीं इस दौरान नेता, 30 अन्य वकीलों की एक टीम और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता फोन पर संपर्क में थे।
एनडीटीवी ने अपनी एक खबर में कांग्रेस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि मतगणना के दौरान बार-बार ईवीएम में गड़बड़ी, दोबारा वोटों की गिनती और पोस्टल बैलेट के नए सिस्टम को लेकर कन्फ्यूजन के कारण, इतना वक्त लगा, जिससे कांग्रेस नेताओं को लगा कि ये सब कांग्रेस को राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने से रोकने के लिए किया जा रहा है। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि वोटों की गिनती में समय लगने का कारण कई सीटों पर उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर का होना रहा, जिसके चलते मतगणना में वक्त ज्यादा लगा। चुनाव आयोग के अनुसार, कई सीटों पर जीत का अंतर 100 वोटों से भी कम का रहा। वोटों में गिनती की गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस इतनी चौकन्नी थी कि कांग्रेस नेताओं की एक टीम दिल्ली में चुनाव आयोग के ऑफिस के बाहर कैंप कर रही थी।
बता दें कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश में 114 सीटें मिली और वह स्पष्ट बहुमत पाने से सिर्फ 1 सीट दूर रह गई थी। हालांकि कमलनाथ ने बुधवार को बसपा सुप्रीमों मायावती को फोन किया, जिसके तुरंत बाद ही बसपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर राज्य में कांग्रेस के सत्ता में वापसी पर मुहर लगा दी थी। बुधवार को सुबह 10 बजे मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया और इसके बाद सुबह 11 बजे शिवराज सिंह ने अपना इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था।