Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में कैबिनेट में बदलाव को लेकर एक बार फिर से कवायद तेज हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि एंटी इनकंबेंसी को दूर करने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में अंतिम फेरबदल कर सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एक दिन पहले शिवराज सिंह चौहान को अचानक दिल्ली तलब किया गया था। यहां शिवराज से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन मंत्री बीएल संतोष के साथ करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई थी।
सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार में अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल हो सकता है। जिसमें कई नए चेहरों को सरकार में शामिल किया जा सकता है, जबकि सरकार में शामिल कई नामचीन चेहरों को संगठन अथवा चुनावी कार्यक्रमों से जोड़ा जा सकता है, लेकिन इस पर अंतिम मोहर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ही लगाएंगे।
मध्य प्रदेश की 230 सीटों में 122 सीटें बीजेपी के पास
इसी साल अक्टूबर महीने में मध्य प्रदेश समेत राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा के लिए मध्य प्रदेश राजनीतिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। जिसमें 122 विधायक बीजेपी के हैं, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा 30 मंत्री हैं। फिलहाल मंत्रिपरिषद में 4 पद खाली हैं। यानी मंत्रिमंडल की संख्या अधिकतम 35 की जा सकती है।
मौजूदा मंत्रिमंडल को देखें तो सरकार में सामाजिक समीकरण बैठाने की कोशिश की गई है, लेकिन लंबे समय से मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के चलते एंटी इनकंबेंसी की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी मार्च में बड़े कैबिनेट फेरबदल की तैयारी में है।
मौजूदा मंत्रिमंडल से छह से आठ चेहरों को संगठन में भेजा जा सकता
अनुमान लगाया जा रहा है कि मौजूदा मंत्रिमंडल से करीब छह से आठ चेहरों को संगठन में भेजा जा सकता है। जबकि 10 से 12 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। फिलहाल सामाजिक समीकरण के हिसाब से 10 राजपूत, 8 ओबीसी, 4 एसटी, 3 एससी और दो ब्राह्मण चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।