शिवराज सिंह चौहान जिन्हें मध्यप्रदेश में आम लोग प्यार से मामा कहकर पुकारते हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की पहली पंक्ति में खड़े होने वाले वाले नेताओं में शुमार हैं। वह 2005 से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उनका जन्म 5 मार्च, 1959 को सीहोर के जैत गांव में प्रेम सिंह चौहान और सुंदर बाई चौहान के घर हुआ था। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव इस साल आखिर में हैं और शिवराज सिंह चौहान इस कोशिश में हैं कि उनकी सरकार बरकरार रहे। हम इस आर्टिकल के जरिए शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक जिंदगी का खाका पेश कर रहे हैं।
आरएसएस से रहा जुड़ाव
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आरएसएस और भाजपा की छात्र शाखाओं से पुराना जुड़ाव रहा है। वह 1972 में 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए थे और अभी भी RSS के टॉप नेताओं के साथ उनकी नज़दीकियों की चर्चा होती रहती है। वह एवीबीपी के संयोजक, महासचिव, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी भी थे, और 1988 में इसके अध्यक्ष थे। वह 2006 से राज्य में कन्या भ्रूण हत्या के के खात्मे के लिए अपनी योजनाओं और उपायों के लिए जाने जाते हैं।
क्या रहा राजनीतिक सफर?
शिवराज सिंह चौहान बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं। स्कूल में राजनीति से संक्षिप्त परिचय के बाद वह जल्द ही जनसंघ के संपर्क में आए और 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा बने। वह उन लोगों में से एक थे जिनके इंदिरा गांधी के शासन के विरोध के कारण उन्हें उस अवधि के दौरान जेल में डाल दिया गया था।
अगले कुछ वर्षों तक वह जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बने रहे। राजनीति में उनकी सक्रिय उपस्थिति 1990 के दशक की शुरुआत से शुरू हुई जब वह अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक बने। 1990 में वह पहली बार बुधनी से राज्य विधानसभा के लिए भी चुने गये। अगले वर्ष उन्होंने विदिशा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा में सीट पर जीत दर्ज की और 2005 तक अपनी सीट बरकरार रखी जब उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।
शिवराज सिंह चौहान 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक सांसद भी रहे। वह 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य थे। 2004 में 260,000 से अधिक वोटों के अंतर के साथ 14 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। वह कृषि समिति के सदस्य भी रहे। इसका अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, संसदीय बोर्ड के सचिव और केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव भी रहे । इसके अलावा भी वह कई कमेटियों में रहे।