मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। उत्तर-पूर्वी राज्य की 40 विधानसभा सीटों के लिए 7 नवंबर 2023 को वोट डाले जाएंगे। कांग्रेस ने लुंगलेई सीट से मरियम ह्रांगचल को मैदान में उतारा है। कुछ समय के लिए ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस मरियम ह्रांगचल को अपने उम्मीदवारों में से एक के रूप में नामित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। पर पार्टी ने राज्य के छात्र निकाय के आदेश को नजरअंदाज करते हुए आगे कदम बढ़ाया और उन्हें नॉमिनेट किया।
दरअसल, पिछले हफ्ते राज्य में सबसे प्रभावशाली छात्रों के संगठन मिज़ो ज़िरालाई पावल (एमजेडपी) ने घोषणा की थी कि वह उन महिलाओं की उम्मीदवारी का विरोध करेगा जिन्होंने समुदाय के बाहर शादी की है। एमजेडपी अध्यक्ष एच लालथियांघलीमा ने खासतौर पर कहा था कि संगठन यह सुनकर निराश है कि एक पार्टी एक ऐसी महिला को अपने उम्मीदवारों में से एक के रूप में मैदान में उतारने जा रही है जिसने एक गैर-मिज़ो से शादी की थी।
लुंगलेई दक्षिण से कांग्रेस की उम्मीदवार मरियम ह्रांगचल
उन्होंने यह नहीं बताया था कि वह किस उम्मीदवार की बात कर रहे हैं पर यह साफ था कि वह मरियम ह्रांगचल की बात कर रहे हैं जिनके पति दीपेन ज़ोलियाना गोरखा हैं, हालांकि उनका सरनेम मिज़ो है। कांग्रेस ने ह्रांगचल को एसटी आरक्षित सीट लुंगलेई दक्षिण से टिकट दिया है। वह अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर रही हैं, पर उनके पिता लालमिंगथांगा मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के एक वरिष्ठ राजनेता और 2003 में लुंगलेई दक्षिण से कई बार विधायक रहे। साथ ही वह पूर्व उप मुख्यमंत्री भी थे।
मरियम ह्रांगचल ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल किया। अब एमजेडपी ने इसके खिलाफ शुक्रवार को आइजोल में रैली निकालने का ऐलान किया है। एमजेडपी के महासचिव चिंखानमंगा थॉम्टे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम यह मांग नहीं कर सकते कि वह अपना नामांकन वापस ले लें। यह उसका अधिकार है लेकिन हम मिज़ो लोगों से अपील कर सकते हैं कि वे उन्हें वोट न दें।”
राजनीतिक दलों से गैर-आदिवासियों से शादी करने वालों को टिकट न देने की अपील
एमजेडपी के महासचिव ने आगे कहा, “हमने पिछले दिसंबर से दो बार राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे गैर-आदिवासियों से शादी करने वाले लोगों को मैदान में न उतारें लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने उसे टिकट कैसे दे दिया। हम एक छोटे से अल्पसंख्यक हैं, इसलिए हमें मिज़ो समाज को संरक्षित करने की ज़रूरत है, और यह उसके लिए एक कदम है। उन्होंने कहा, “हमारे पारंपरिक कानून के अनुसार, एक गैर-आदिवासी से शादी करके उसने अपना आदिवासी दर्जा खो दिया। वह एक बेहद सफल बिजनेसवुमन हैं, जिससे पता चलता है कि हमारे समाज में कोई भेदभाव नहीं है. लेकिन यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम विधानसभा के लिए स्वीकार कर सकें।”
एमजेडपी या राज्य के अन्य नागरिक समाज संगठनों द्वारा उठाई गई यह आपत्ति नयी नहीं है। इससे पहले भी एमजेडपी ने आदिवासी समुदाय को बाहरी लोगों के साथ मिलने से बचाने के लिए एक अभियान चलाया था। इसमें राज्य के हाई स्कूलों और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में मिज़ो जनजाति के बाहर शादी न करने की शपथ दिलाना शामिल था। यह सुनिश्चित करने के लिए एक कानून पर भी जोर दिया गया है कि जो मिज़ो महिला किसी गैर-आदिवासी से शादी करती है, वह अपना एसटी दर्जा खो दे।