उत्तर प्रदेश से सटे पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले के बीच हार-जीत तय करने में बसपा समर्थकों का किरदार अहम रहेगा। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से सटे इन दोनों क्षेत्रों के दलित मतदाताओं पर मायावती का प्रभाव है। इसके अलावा मुसलमानों की भी काफी बड़ी आबादी इन इलाकों में रहती है। आंकड़ों के अनुसार करीब एक दर्जन विधानसभाओं पर दलित मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। इसी तरह आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर मुसलमान निर्णायक होते हैं। राजनैतिक जानकारों के मुताबिक भीषण गर्मी के दौर में कम मतदान होने की संभावना है। नतीजन अंतर कम रहने पर बसपा समर्थक हार-जीत की बाजी में उलटफेर साबित कर सकते हैं।

पूर्वी दिल्ली सीट पर 2009 में बसपा प्रत्याशी मोहम्मद यूनुस को 45 हजार से ज्यादा मत मिले थे और वे तीसरे नंबर पर रहे थे। इसी क्षेत्र से 2014 लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में जावेद अंसारी चौथे स्थान पर रहे। उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर 2009 में बसपा के प्रत्याशी हाजी दिलशाद अली को 44 हजार से ज्यादा मत मिले थे। वे कांग्रेस और भाजपा के बाद तीसरे नंबर पर रहे थे। 2014 में बसपा प्रत्याशी के रूप में अब्दुल समी सलमानी 28 हजार से ज्यादा मत लेकर चौथे स्थान पर रहे। इस बार बसपा ने पूर्वी दिल्ली से संजय गहलोत और उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से राजबीर को प्रत्याशी के रूप में उतारा है। आकंड़ों के अनुसार पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में दलित मतदाताओं की संख्या करीब 18 फीसद है। इस क्षेत्र में करीब इतने ही मुसलमान मतदाता हैं।

उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में मुसलमान मतदाता करीब 21 और 18 फीसद दलित मतदाता हैं। कुल मिलाकर दोनों सीटों पर जिस प्रत्याशी को इन दोनों वर्गों का समर्थन मिल जाएगा, वो जीत के नजदीक पहुंच जाएगा। अगर इन वर्गों के मतों में बिखराव भी होगा, तब भी जिस भी प्रत्याशी के पक्ष में अधिकांश मत पड़ेंगे, उसकी जीत का रास्ता आसान होगा। अपने मतदाताओं को बंटने या भटकने से बचाने के लिए बसपा और बामसेफ कार्यकर्ता भी गोपनीय रणनीति पर काम कर रहे हैं। अपने साथ मुसलमान मतदाताओं को भी जोड़ने के लिए भाईचारा कमेटियों का सहारा लिया जा रहा है। 10 मई को त्रिलोकपुरी में बसपा प्रमुख मायावती की विशाल जनसभा होगी।