मनोज मिश्र
Maharashtra & Haryana Election Results/Chunav Results 2019: महाराष्ट्र और हरियाणा में पिछली बार से कम सीटें आने के बावजूद भाजपा की सरकार बनाने की तैयारी के बीच दिल्ली मेंभाजपा के आला नेताओं का चुनाव नतीजों पर मंथन देर रात तक चलता रहा। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र के साथ-साथ हरियाणा में भी सरकार बनाने की घोषणा की। हरियाणा में बहुमत न आने पर भी उनका कहना था कि सबसे बड़ी पार्टी होने के चलते जनता ने भाजपा को सरकार बनाने का जनादेश दिया है। महाराष्ट्र और हरियाणा ही नहीं विभिन्न राज्यों के विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भी भाजपा को बड़ी सफलता नहीं मिली है।
हरियाणा के चुनाव नतीजों ने दो बातों को साफ किया है। लोक सभा में सभी दसों सीटें जीतने के बाद भाजपा नेता अति आत्मविश्वास में थे और इसके चलते टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव की रणनीति बनाने में कोताही बरती गई। इससे भी बड़ी बात हरियाणा के 90 विधानसभा सीटों में से 60 से ज्यादा सीटों को प्रभावित करने वाली जाट बिरादरी ने भाजपा के खिलाफ रणनीति बनाकर वोट किया। इसी का परिणाम हुआ कि कांग्रेस के साथ-साथ नई बनी जननायक जनता पार्टी(जजपा) को भी चुनाव में अच्छी सफलता मिली।
भाजपा के लिए दोनों विधानसभा और उपचुनाव इसलिए भी परेशान करने वाले हैं कि कुछ महीने पहले हुए लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को 2014 से ज्यादा सफलता मिली थी जबकि 2014 में भाजपा ने हरियाणा में अपने दम पर बहुमत के साथ सरकार बनाई थी और महाराष्ट्र में शिव सेना से अलग चुनाव लड़कर भी पहले से ज्यादा सफलता हासिल करके शिव सेना के साथ सरकार बनाई। अबकी शिव सेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर भी गठबंधन को साधारण बहुमत ही आ पाई है। हरियाणा में तो बिना नेता चुनाव लड़कर बहुमत पाकर भाजपा ने परंपरा से हटकर मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया और पांच साल में खट्टर सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप न लगने के बावजूद उनकी सरकार को जाटों का विरोधी ठहराने की कोशिश हुई।
कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसी मुद्दे को बड़े जोर-शोर से उठाया और हरियाणा कांग्रेस नेतृत्व न बदलने पर अलग पार्टी तक बनाने की धमकी दी। पार्टी ने उनकी बात मानी, भले ही हटाए गए प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर बागी हो गए लेकिन कांग्रस को जाट और दलित (प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा) समीकरण का लाभ मिला। इतना ही नहीं, कभी जाटों में सबसे असरदार माने-जाने वाले चौधरी देवी लाल के पोते दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा ने भी इस चुनाव में अच्छी सफलता हासिल की।
चुनाव नतीजों से साफ जाहिर हो रहा है कि जहां कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा को हराता दिखा, वहां कांग्रेस को और जहां जजपा मजबूत दिखी वहां जाटों ने जजपा को वोट दिया। हालात ऐसे हुए कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला, खट्टर सरकार में मंत्री कैप्टन अभिमन्यू, ओम प्रकाश धनकड़ समेत भाजपा के सभी बड़े जाट नेता चुनाव हार गए। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता को उचानकलां सीट पर भारी अंतर से दुष्यंत चौटाला ने पराजित किया। बराला ने नतीजे पूरी तरह आने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जाटों में हुड्डा और चौटाला यह संदेश देने में कामयाब रहे कि भाजपा की हरियाणा सरकार जाट विरोधी रही है। वैसे भाजपा को दूसरे स्थानों पर भी पराजय मिली है लेकिन जाटों के दबदबा वाले इलाके में बड़ी हार मिली है।
जाटों की नाराजगी भी वजह
चुनाव नतीजे पूरी तरह आने से पहले भाजपा के आला नेताओं की बैठकों का दौर शुरू हो गया। मतगणना के बीच में तो एक बार यह भी लगने लगा था कि भाजपा और कांग्रेस के सीटों में ज्यादा अंतर नहीं रहने वाली है। पार्टी नेतृत्व ने दोनों जगह सरकार बनाना तय कर लिया है। असली परेशानी अगले दो तीन महीनों में होने वाले झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में होने वाली है। झारखंड में रघुवर दास की सरकार बिना खुद के बहुमत से दूसरे दलों के साथ पांच साल पूरी कर ली है। दिल्ली में तो 1993 के बाद भाजपा कभी विधानसभा में सत्ता में ही नहीं आ पाई है। आने वाले दिनों में भाजपा को इन दोनों राज्यों में चुनाव जीतने के लिए ज्यादा तैयारी करनी पड़ेगी।